प्रतिभाओ को आगे बढ़ाने यह परिसर हमेशा तैयार है: लाला साहू

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“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम। स्थानीय साहू छात्रावास के राजिम भक्तिन मंदिर कार्यालय में छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति तहसील इकाई के तत्वाधान में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में जिले के कवि एवं साहित्यकार उपस्थित होकर कविता रस का पान कराकर गुदगुदाते रहे। हिंदी, छत्तीसगढ़ी भाषाओं की कविताओं ने रंग जमा दिया। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में प्रमुख रूप से राजिम भक्तिन मंदिर समिति के अध्यक्ष लाला साहू उपस्थित थे। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि साहित्य के क्षेत्र में राजिम का अपना अलग नाम है। आज तक मैं दो घंटा तक बैठकर कविता नहीं सुना हूं लेकिन आज ऐसा अवसर मिला है कविताएं निश्चित रूप से पहचान दिलाने का काम करती है। हम चाहते हैं कि क्षेत्र के कवियों की कविताओं पर लोग बात करें और अंचल का नाम उजागर हो। राजिम भक्तिन मंदिर समिति का यह कार्यालय हमेशा इन कवियों के लिए खुला हुआ है वह जब चाहे आकर काव्य गोष्ठी या फिर कवि सम्मेलन और संगोष्ठी कर सकते हैं। चाय नाश्ता कराने की जिम्मेदारी हमारी होगी इससे हमें खुशी होगी कि यह परिसर प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। समाजसेवी एवं भाजपा नेता डॉ रामकुमार साहू ने अपने उद्बोधन में कहा कि मुझे कविताएं बहुत अच्छी लगती है। सचमुच में कविताएं जीवन के सारे तथ्यों को उजागर करने का काम करती है साहित्य समाज का दर्पण है कवि बड़े से भी बड़ी बात मंचों में साधारण रूप से कह देते हैं। कवि होने के अनेक फायदे हैं।मंदिर समिति के संरक्षक डॉ महेंद्र साहू ने कहा कि राजिम की माटी साहित्य के लिए अत्यंत उर्वरा है। यहां अनेक साहित्यकार हुए हैं। वर्तमान में लिखने वाले कवियों की रचनाएं समाज में चोट कर रही है और लोगों को राह दिखाने के काम में अग्रणी है।तहसील इकाई के अध्यक्ष नूतन साहू ने बताया कि छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के इस इकाई द्वारा प्रत्येक महीने काव्य गोष्ठी आयोजित होगी जिसमें कवियों को मंच देने का काम किया जाएगा। इस मंच के माध्यम से बिना देखे पढ़कर कवि सम्मेलन के लिए तैयार करने का प्रशिक्षण गृह है। हमारे समिति की ओर से इसके लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा ताकि नवोदित को भी प्लेटफार्म मिल सकें। पश्चात कवि एवं साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर मंडल ने मंच संचालन करते हुए चुटकुले प्रस्तुत कर खूब गुदगुदाया उन्होंने हास्य व्यंग्य के प्रसिद्ध कवि काशीपुरी कुंदन को आमंत्रित किया जिन्होंने देश भक्ति का अलख जगाते हुए माहौल बना दिया। पंक्ति देखिए-उन्हें कौन बताएं की सद्भाव और शांति के वातावरण को दूषित करना सत्कर्म नहीं होता है, जो धर्म हत्या करने के लिए कहें वह धर्म नहीं होता है।त्रिवेणी संगम साहित्य समिति के अध्यक्ष मकसूदन साहू बरीवाला ने मजहब की बातें बता कर जोश और जज्बा भरा। उनकी रचना पढ़िए-आओ हम सब शपथ करें वतन के खातिर जिए मरे, जय हिंद हमारा नारा हो अपनी आवाज बुलंद करें। पांडुका से पहुंचे पुरुषोत्तम चक्रधारी ने छत्तीसगढ़ी भाषा में दो दो लाइन की टुकड़िया देकर महफिल में जान फूंक दी। प्रस्तुत है पंक्ति- तूंहर घर तेलई,हमर घर बासी नून कका। फाटे करेजा ल थोकिन तुन कका। कवि मोहनलाल मानिकपन की कविता पढ़ने का अंदाज ने काफी प्रभावित किया उनकी रचना देखिए-क्या कहूं क्या ना कहूं, कहा नहीं जाता।बीन बोले मन में रहा नहीं जाता। गीतकार अशोक शर्मा ने गीत पढ़ने के पश्चात नई कविता तथा मुक्तक भी परोसा। उनकी पंक्ति देखिए-कवि ने कविता से कहा ऐ कविता तुम नहीं जानती क्या चीज हो। तुम तो हर शायर और कवियों के गले की ताबीज हो।कवियत्री रमा भोसले ने गीत प्रस्तुत कर वाहवाही बटोरी।कवि रोहित साहू माधुर्य, गणेश गुप्ता,जागेश्वर साहू, मूलचंद सचदेव, प्रहलाद गंधर्व, हीरालाल हिरवानी,भोले साहू,युगल किशोर साहू की कविताएं ने चार चांद लगा दिया। इस मौके पर ज्ञानेंद्र साहू, अशोक साहू,पारकर, रविशंकर साहू आदि मौजूद थे।

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