आरक्षण के मुद्दे पर अखंड ब्राह्मण समाज द्वारा राज्यपाल को ज्ञापन
रायपुर। राज्यपाल अनसुइया उइके को छत्तीसगढ़ प्रांतीय अखंड ब्राह्मण समाज की तरफ से भारती किरण शर्मा, ममता शर्मा, प्रीति शुक्ला, हितेश तिवारी और अभिनव पांडे ने ज्ञापन सौंपा। भारती किरण शर्मा ने कहा की आरक्षण कोर्ट के आदेश अनुसार ही होना चाहिए। हम आरक्षण का विरोध नही कर रहे है। हम संविधानपूर्वक न्यायपूर्ण आरक्षण कि मांग कर रहे है। सामान्य वर्ग के आरक्षण हितग्राहियों कि गणना के लिए बनाये गये क्वांटिफायबल डाटा आयोग के आंकड़े सिर्फ हवा हवाई है। ममता शर्मा ने कहा की अगर सरकार जनता के हितथार्थ कोई बेहतर प्रयोग या कार्य करने कि मनसा से यह कार्य कि है तो पहले इस मुद्दे को पब्लिक डोमेन में रखना चाहिए था। अभिव्यक्ति कि आजादी जनता को इनके पास कोई प्रमाणिक डाटा नही है इसके लिए एक एप बनाकर लोगो को ऑनलाइन आरक्षण हेतु डिटेल मांग रहे है। आज भी छ.ग. का बड़ा प्रतिशत को इस बात का ज्ञान नहीं है कि वह इस साफ्टवेयर जो एप है इलेक्ट्रोनिक सर्वे है उस तक कैसे पहुचे।ममता शर्मा ने कहा की उसका लाभ वो ले पाने में सक्षम नहीं है इसकी सत्यता पर भी प्रशन चिन्ह है ग्रामीण क्षेत्र में वातावर्ण इलेक्ट्रॉनिक ज्ञान में अभी भी पिछड़े हुए हैं जो डाटा कमीशन बना है उसमे भी क्रीमी लेयर नान क्रीमी लेयर का कोई अता पता नही है। सरकार आज OBC कि पूरी आबादी को जोड़ कर आरक्षण देने कि बात कर रहे हैं OBC में 14% से 27% किया है (जो डबल है) 41% आबादी OBC कि है तो स्पष्ट करे सिर्फ नॉन क्रीमी लेयर के लिए ही आरक्षण बना है कितने नॉन क्रीमी लेयर है या तो बताये ।ममता शर्मा ने कहा की आदिवासी में ST/SC पर तौ हमारा कोई विवाद नही है, इनका तो हम स्वागत करते हैं। ST/SC कि जनगड़ना प्रतीत होती है जो दश वर्षों से है। सरकार को कानून बनाने का अधिकार है | परन्तु विधि सम्मत संविधान का उलंघन कर के कोई कानून बनाना संविधान कि भावना के विपरीत होगा । सहकारी संस्था निगम मंडल आयोग NGO सभी को आरक्षण के दायरे में लै आये है क्या यह संविधान के कि अनुच्छेद में लिखा है ? सरकार संविधान के दायरे में ही रह कर कानून का गठन कर सकती है | कानून नियम को ताक पर रखकर नही बना सकते है। आप संविधानिक पद में राज्यपाल होने कि हैसियत से आप सही न्याय एवं निति संगत निर्णय लेने हेतु सर्वे सर्वा है।विद्वानों कि एक कमिटी बनाने की मांग की गई। जिसमे एडवोकेट जनरल PS LAW सीनियर एडवोकेट उच्च न्यायालय के सेवा निर्वित न्यायधीश शामिल हो। कहा गया की तब उनके द्वारा निति गत न्याय संगत दिए गये अभिमत के आधार पर ही प्रस्तुत आरक्षण पर निर्णय लिया जाना उचित होगा।