नवनिर्मित रेलवे ओवरब्रिज में पड़ी दरारें,रात में अंधेरा का साया -जवाबदार विभाग को सुध नहीं ।
तिल्दा-नेवरा। नगर के रेलवे ओवरब्रिज खरोरा सिमगा मार्ग के जिनको लगभग निर्मित तीन बरस हुए हैं और इस अवधि में अनेकों दुर्घटनाए भी हो चुके हैं दुर्घटना का कारण जो भी हो लेकिन नवनिर्मित ओवरब्रिज की दशा स्वमेव बंया कर रही है कि गुणवत्ता के मामले में कितना खरा उतर रहा है जगह जगह ब्रिज में पड़ी दरारें को देखकर ऐसा नहीं लगता की नगरवासियों को ओवरब्रिज रूपी मिली सौगात में तारीफें काबिल हो नवनिर्मित ओवरब्रिज की जो हालात हैं वह किसी से भी छिपी नहीं है ब्रिज में जगह-जगह पड़ी दरारें वहीं रात्रिकालीन अंधेरा का साया चीख चीख कर बंया कर रही है कि उनके साथ कितना छलावा किया गया है हालांकि अपने कमजोरी पर पर्दा डालने जवाबदेही विभाग समय समय पर ब्रिज में पड़ी दरारें को भरने का जिम्मा अपने फेहरिस्तो को सौंपा है लेकिन देर सबेर ब्रिज की कमजोरी अपनी पहचान को उजागर कर ही देती है और दरारें पुनः कुछ दिन पश्चात अपनी असल चेहरा को बेनकाब कर ही देता है फिर भी जवाबदार प्रशासनिक विभाग व जनप्रू के भौंहेइ तनी होने के बजाय आंखों में पट्टी बांध रखी है यही नहीं नवनिर्मित ओवरब्रिज की एक और गाथा है जो कि राहगीरों को सुलभ करायी गई विद्युत ब्यवस्था की है दिन के उजाले में ओवरब्रिज पर बड़े बड़े विद्युत पोल तने खड़े खड़े हुए नजर आ रहे हैं उनमें बड़ी बड़ी लाइटें लगी हुई है लेकिन वह महज दिखावा का रह गया है चुंकि रात होते ही इन पोलो पर जुगनू भी नजर नहीं आता विद्युत प्रकाश की अपेक्षा करना तो निर्थू है रात का आवागमन राहगीर आमने सामने से आवाजाही करने वाले वाहनों की हेडलाइट की रोशनी के सहारे से करते हैं जिससे दुर्घटना का भय भी बना रहता है जबकि ओवरब्रिज के निर्माण काल के इन बीते वर्षों में अनेकों बड़े बड़े दुर्घटनाये भी घट चुकी है फिर भी प्रशासन इस मामले को लेकर उदासीनता का रवैया अपना रही है।
“शैलेश सिंह राजपूत की रिपोर्ट”