The Popatlal

सच्ची खबर देंगे पोपटलाल

Chhattisgarh

जो भारत का नहीं, भारत के लिए नहीं, हमें ऐसी खरपतवार नहीं चाहिए: कैलाशचन्द्र

Spread the love

रायपुर। भारतीय दर्शन भेद विहीन दर्शन है। यह काला-गोरा, मोटा-पतला, स्त्री-पुरूष, बालक-बालिका में भेद नहीं करता। मौलिक दर्शन है आत्मा अजर, अमर, अविनाशी है। भारत के दर्शन में स्त्री पुरुष भेद सम्भव नहीं है क्योंकि परमात्मा एक है, बाकी हम सब आत्माएं उसमें से ही आयी हैं, उस परमात्मा की फोटोकॉपी है। भारतीय ज्ञान परंपरा में किसी भी प्रकार का भेद नहीं है। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक व मध्य क्षेत्र के प्रचार प्रमुख श्री कैलाश चन्द्र जी ने कही। वे छत्तीसगढ़ प्रान्त के भारतीय नारी विमर्श अध्येता समूह के ब्रेन स्ट्रॉमिंग सत्र को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि भारतीय तत्व ज्ञान हजारों वर्षो में हुई ऋषियों की रिसर्च पर आधारित है। भारत का ज्ञान लाखों वर्षों का प्रवाहमान समाज से आया है। यह पाश्चात्य की तरह एक या दो बुध्दिजीवियों द्वारा लिखी किताबें नहीं है। भारत को भारत रखने के लिए पश्चिम का अंधानुकरण नहीं करना है। भारत की नारियों का आदर्श भारत की ही नारियां हैं। हमें पश्चिम से आदर्श नहीं चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *