ये क्या रेंजर को सिर्फ कार्यालय का प्रभार और डिप्टी रेंजर को अब भी वृत्तीय प्रभार, वन विभाग में चल रहा चेहते को रेंजर बनाने का खेल
”दीपक ठाकुर की रिपोर्ट”
कवर्धा। हमेशा जंगल व वनो की कटाई को लेकर सुर्खियों में रहने वाले वन विभाग इस बार किसी अलग कारण से सुर्खियों में है। इस दिनों चेहतों को रेंजर व अतिरिक्त प्रभार देने का खेल चल रहा है। कुछ ऐसा ही कवर्धा वन परिक्षेत्र का है। यहां रेंजर की पोस्टिंग होने के बाद भी डिप्टी रेंजर को प्रभार दिया गया है। जबकि 8 माह से रेंजर की पोस्टिंग कवर्धा वन विभाग में हुआ था। लेकिन अपने चहेते को रेंजर बनाकर रखने के चक्कर मे ट्रांसफर होकर आए रेंजर को प्रभार नही दिया गया। और 8 माह से वह रेंजर भटकता रहा। इधर उधर प्रयास करने के बाद कवर्धा रेंज के प्रभार तो दिया गया, लेकिन वृत्तीय प्रभार नही दिया गया। जबकि एक रेंजर के लिए वृत्तीय प्रभार ही मुख्य होता है, लेकिन ऑफिस की देखरेख करने बाबू की तरह एक रेंजर को बैठा दिया गया है और सारा काम काम डिप्टी रेंजर कर रहा है। जबकि उस डिप्टी रेंजर सोनी सर के पास अतिरिक्त प्रभार और भी है। इसके बाद भी डिप्टी रेंजर सोनी को कवर्धा रेंज के रेंजर का प्रभार दिया गया है। जबकि रेंजर अशोक कुमार झारिया को रेंजर का फूल चार्ज नही दिया जा रहा है। इस प्रकार कवर्धा रेंज व पूरे वन मंडल में चहेते डिप्टी रेंजरों को प्रभार देकर मनमानी कर रहे है। जबकि डीएफओ को तुरन्त चार्ज देना चाहिए, लेकिन शासन के आदेश की भी अनदेखी की जा रही है।