मुख्यमंत्रियों का निर्वाचन क्षेत्र बन गया है जिला राजिम का नंबर कब
संतोष सोनकर की रिपोर्ट
राजिम। छत्तीसगढ़ प्रदेश में जितने मुख्यमंत्री बने हैं सभी का निर्वाचन क्षेत्र जिला के रूप में अस्तित्व में आ गए हैं इस कार्य में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का विशेष योगदान है हाल ही में उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के निर्वाचन लोकसभा क्षेत्र रहे विधानसभा मुख्यालय खैरागढ़ को प्रदेश का 33 वां जिला बनाया है। प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी के निर्वाचन विधानसभा क्षेत्र मरवाही को जिला बना दिया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य बने तब मात्र 16 जिला ही थे। इन 21 सालों में 17 नए जिले अस्तित्व में आ गए हैं। राजिम जिले की मांग अविभाजित मध्यप्रदेश से हो रही है। जबकि राजिम विधानसभा क्षेत्र ने मध्यप्रदेश को तीन बार मुख्यमंत्री दिए हैं। 26 मार्च 1969 -72, 1975- 77, 1989- 90, इस तरह से करीब आठ नौ वर्षों तक एक बड़े राज्य मध्यप्रदेश को राजिम विधानसभा ने मुख्यमंत्री के रूप में प्रतिनिधित्व दिया। राजिम न सिर्फ प्रदेश को मुख्यमंत्री दिए हैं बल्कि यह प्रदेश का प्रमुख तीर्थ स्थल भी है। देश-विदेश के पर्यटक छत्तीसगढ़ मात्र राजिम की ख्याति को सुनकर आते हैं। इस नगरी की प्राचीनता कीवदंति के अनुसार त्रेता युग से बताई जाती है। उस समय वनवास काल के दौरान राम लक्ष्मण एवं सीता नदी मार्ग से होते हुए त्रिवेणी संगम महर्षि लोमश से मिलने के लिए पहुंचे थे तब उन्होंने चौमासा रुककर यहां उपस्थित आसुरी शक्तियों का समूल नाश किया, उसी समय देवी सीता ने संगम में स्नान कर रेत से शिवलिंग बनाकर पूजा अर्चना की। बाद में यही विश्व के विरले पंचमुखी कुलेश्वर नाथ महादेव के नाम से प्रसिद्ध हुआ। वनवास काल के दौरान राम ने रामेश्वर में रामेश्वरम शिवलिंग की स्थापना किया तो देवीट माता सीता ने राजिम के त्रिवेणी संगम कुलेश्वरनाथ महादेव का रेत से निर्माण किया है। यहां की प्रसिद्ध भगवान विष्णु का राजीवलोचन मंदिर कलचुरी काल का श्रेष्ठ उदाहरण है मंदिर में उत्कीर्ण कलाकृति पर्यटकों को अपनी ओर खींच लाती है। प्रसिद्ध माघी पुन्नी मेला प्रदेश का सबसे बड़ा मेला माना जाता है। श्रद्धालु यहां स्नान दान अस्थि विसर्जन एवं दर्शन लाभ लेने बड़ी संख्या में प्रतिदिन पहुंचते हैं। अनुमान के मुताबिक देश में जितने भी बड़े तीर्थ स्थल है सब जिला बन चुके हैं तीर्थ नगरी के रूप में राजिम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाए हुए हैं। देश के ही नहीं बल्कि विदेश से भी दर्शनार्थी राजिम के ख्याति से रूबरू होने पहुंचते हैं। राजिम जिला की मांग बहुप्रतीक्षित है। क्षेत्र के लोग उम्मीद लगाएं है कि प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल राजिम को जिला अवश्य बनाएगी। जिस तरह उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, डॉ रमन सिंह के क्षेत्र को जिला घोषित किया है उसी तरह से पूर्व मुख्यमंत्री पंडित श्यामाचरण शुक्ला के निर्वाचन क्षेत्र राजिम को भी शीघ्र जिला घोषित करेगी।त्रिवेणी संगम तीन जिलों की सीमा से जुड़ा सोंढूर, पैरी एवं महानदी का संगम इसी स्थल पर होता है तीनों नदी मिलकर त्रिवेणी संगम कहलाती है पश्चात इन्हें प्रयागराज का दर्जा दिया गया है। रायपुर, धमतरी एवं गरियाबंद जिला तीनों की सीमा को त्रिवेणी संगम छुती है। मगरलोड ब्लाक के राजिम नवापारा से लगे हुए कुछ गांव, रायपुर जिला के नवापारा तहसील, राजिम तहसील, छुरा ब्लॉक के कुछ गांव तथा महासमुंद जिला के बम्हनी आदि को मिलाकर राजिम जिला का स्वरूप शानदार दिखेगा।सदियों से प्रचलित है राजिम में पंचकोसी परिक्रमाजिस तरह से उत्तर प्रदेश में 84 कोसी यात्रा की जाती है जिसमें साधु संत बड़ी संख्या में भाग लेते हैं इस पैदल यात्रा की गूंज पूरे देश भर में होती है ठीक उसी भांति राजिम में पंचकोशी शिवपीठ है यहां सदियों से पंचकोशी यात्रा का विधान है। जनवरी माह में प्रदेश भर के श्रद्धालुओं हजारों की संख्या में पैदल इन शिवपीठों का यात्रा करते हैं। बता देना जरूरी है कि पंचकोशी यात्रा के प्रथम पड़ाव वर्तमान में रायपुर जिला में स्थित राजिम से 14 किलोमीटर की दूरी पर पटेवा ग्राम है। यहां पटेश्वरनाथ महादेव श्रद्धा भक्ति को जन्म देती है। दूसरा पड़ाव चंपारण धाम है यहां चंपकेश्वर नाथ महादेव है। तीसरा पड़ाव बम्हनी स्थित ब्रह्मकेश्वरनाथ महादेव वर्तमान में महासमुंद जिला पर विद्यमान है यह भी राजिम से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। चौथा फणीकेश्वरनाथ महादेव फिंगेश्वर गरियाबंद जिला में है। इसी तरह से पांचवा धाम कोपरा में कर्पूरेश्वरनाथ महादेव विराजमान है। इस पंचकोशी शिवपीठ में दो शिवपीठ रायपुर जिला, एक शिव पीठ महासमुंद जिला तथा दो शिव पीठ गरियाबंद जिला में स्थित है सभी शिवपीठ को मिलाकर राजिम जिला का स्वरूप दिया जाय। यह शिवपीठ राजिम के चारों ओर 12 से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।राजिम नवापारा दोनों व्यापारिक नगरी राजिम और नवापारा दोनों व्यापारिक नगरी है यहां सुई से लेकर हर तरह के सामान उपलब्ध हो जाते हैं। लेनदेन के लिए धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद, मैनपुर,देवभोग के अलावा उड़ीसा राज्य से भी लोग पहुंचते हैं। व्यापार के क्षेत्र में राजिम और नवापारा चर्चित नाम है। यदि प्रशासनिक अधिकारी भी यहां बैठने लगे तो क्षेत्र के विकास को पंख लगेंगे।