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साहित्यकारों ने दी डॉ.माणिक विश्वकर्मा नवरंग को विदाई

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बीएन यादव की रिपोर्ट

कोरबा। पं.मुकुटधर पांडे साहित्य भवन समिति के तत्वावधान में पं.मुकुटधर साहित्य भवन में कोरबा जिले की प्रमुख साहित्य समितियों में शुमार – संकेत साहित्य समिति , सिरजन साहित्य समिति,साहित्य संस्था भारत एक प्रयास,सोनहा सुरता, सरस्वती साहित्य समिति,सृजन साहित्य समिति,दीपशिखा साहित्य समिति,उर्जा साहित्य समिति ,ओमपुर साहित्य समिति , राष्ट्रीय कवि संगम एवं संस्कार भारती के साहित्यकारों की उपस्थिति में साहित्य भवन के संरक्षक लब्ध प्रतिष्ठ वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ के सम्मान में विदाई समारोह का आयोजन किया गया।इस अवसर पर उनकी धर्मपत्नी पुन्नी विश्वकर्मा एवं लिटिल मोटिवेटर पुत्र मयंक विश्वकर्मा भी उपस्थित रहे। डॉ.नवरंग कोरबा जिले में निवासरत रहकर यहाँ की विभिन्न संस्थानों में अपनी दीर्घकालीन सेवा और साहित्य सेवा में बयालीस वर्षों तक समर्पित रहने के बाद अब रायपुर में निवास करने जा रहे हैं।सभी साहित्यकारों के साथ उनका पारिवारिक, आत्मिक एवं साहित्यिक संबंध रहा । उनके साथ बिताए गए क्षणों की यादों को अपनी स्मृति में संजोये रखने हेतु बड़ी संख्या में कोरबा जिले के जिन साहित्यकारों ने भाग लिया उनके नाम निम्नानुसार हैं – साहितँय भवन समिति के संरक्षक युनूस दानियालपुरी , हरगोविंद ताम्रकर , एसीएन के प्रधान संपादन कमलेश यादव , जे.पी.श्रीवास्तव,दीप दुर्गवी , साहित्य भवन समिति के अध्यक्ष दिलीप अग्रवाल, मुकेश चतुर्वेदी ,गायत्री शर्मा ,इकबाल अंजान , कृष्ण कुमार चन्द्रा,बलराम राठौर , जितेन्द्र वर्मा,हीरामणी वैष्णव , गीता विश्वकर्मा नेह , शनि प्रधान ,सुकुल प्रसाद साहू, डिकेश्वर साहू , रूपेश चौहान, हिमांशु चतुर्वेदी ,घनश्याम श्रीवास , रमाकान्त श्रीवास , आर.के.सोनी ,आशा आजाद,विनोद कुमार सिंह ,ओम यादव ,धरम साहू ,स्मिता देशपांडे ,शिव साहू, रामकली कारे ,घनश्याम तिवारी , अंजना सिंह ,गार्गी चटर्जी ,किरण सोनी, ,भुवनेश्वर देवांगन नेही,अरूणा देवांगन ,निर्मला ब्राम्हणी ,अहमद खान,जमुना देवी गढ़ेवाल ,निर्मल राज , लता चन्द्रा ,लक्ष्मी करियारे , सूरज श्रीवास , अब्दुल गफ्फार खा़की , सुमित शर्मा ,अंजना सिंह ,दीपक सिंह ,दरोगा दास महंत एवं गिरवर आदि। पाँच घंटों तक चले इस अभिनव कार्यक्रम में सभी समिति के साहित्यकारों ने बारी बारी से अपने विचार व्यक्त किए। प्रथम सत्र में माँ सरस्वती की पूजा अर्चना के पश्चात विश्वकर्मा परिवार का पुष्प गुच्छ एवं माला से स्वागत किया गया । इसके पश्चात डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ को साहित्य समितियों द्वारा शाल ओढ़ाकर श्रीफल, अभिनंदन पत्र,सम्मान पत्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट करके सम्मानित किया गया। द्वितीय सत्र में साहित्यकारों द्वारा नवरंग संबंधित संबोधन एवं कविता के माध्यम से भाव पुष्प अर्पित करने से वातावरण गमगीन हो गया। व्यक्त की गईं कुछ भावनाओं के अंश –
कृष्ण कुमार चन्द्रा द्वारा माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ नाम के हर अक्षर पर दोहे के माध्यम से व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया। मुकेश चतुर्वेदी ने नवरंग को साहित्य का वटवृक्ष कहते हुए सदैव छाँव देते रहने की अपेक्षा की।दिलीप अग्रवाल ने प्रवास में होने के बावजूद वीडियो कॉल के माध्यम से नवरंग के प्रति अपनी आस्था एवं विश्वास को प्रकट करते हुए उन्हें अपना मार्गदर्शक एवं अभिभावक की संज्ञा दिया एवं उपस्थित न हो पाने के लिए गहरा दुख व्यक्त किया।जे.पी.श्रीवास्तव ने नवरंग की लेखन शैली की विशिष्टता एवं अंदाज़ की सराहना की।
हरगोविंद ताम्रकार ने नवरंग की अनुभूति एवं अभिव्यक्ति को बेजोड़ बताया।कमलेश यादव ने डॉ.माणिक विश्वकर्मा को साहित्य की पाठशाला निरुपित किया।
पुन्नी विश्वकर्मा ने कोरबा साहित्य संसार को विविध विधाओं का गुलदस्ता कहा तथा उसकी खुशबू प्रदेश ही नहीं देशभर में फैलेगी ऐसी आशा व्यक्त की।वरिष्ठ शायर यूनुस दनियालपुरी ने नवरंग के साहित्य के प्रति समर्पण का ज़िक्र करते हुए उन्हें पं.मुकुटधर पांडे साहित्य भवन समिति का आजीवन संरक्षक घोषित किया जिसका समर्थन कर्तल ध्वनि के साथ उपस्थित सभी साहित्यकारों ने किया। डॉ.माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग ‘ ने अपने सारगर्भित उद्बोधन कहा कि पिछले बयालीस वर्षों के दौरान मैंने इस क्षेत्र में बहुत कुछ अर्जित किया है। मेरा सामयिक तेवर, अक्खड़पन एवं कबिराना अंदाज़ कोरबा की ही देन है। ज़मीन से जितना भी ऊपर मैं उठ पाया हूँ उसमें कोरबा की जलवायु एवं मिट्टी का बहुत बड़ा योगदान है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने विदाई समारोह को ख़ास बनाने के लिए सभी साहित्यकारों को हृदयतल से आभार व्यक्त किया। दोंनो सत्र का संचालन साहित्य भवन समिति के उपाध्यक्ष कृष्णकुमार चन्द्रा एवं सचिव मुकेश चतुर्वेदी ने किया। कार्यक्रम के अंत में तेज़ी से उभर रहे कोरबा के साहित्यकार हीरामणी वैष्णव ने उपस्थित सभी साहित्य मनीषियों एवं विदुषियों को साहित्य भवन की ओर से आभार व्यक्त किया।विदाई के क्रम म़े एक दिन पूर्व सरस्वती साहित्य समिति द्वारा बेला कछार बालकोनगर में डॉ.माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ एवं पुन्नी विश्वकर्मा को विदाई दी गई एवं उनके कर क़मलों से महावीर चन्द्रा द्वारा रचिच सती बिलासा नोनी नाट्य पुस्तक का विमोचन संपन्न हुआ। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार गेंदलाल शुक्ल, उमेश अग्रवाल , महावीर चन्द्रा ,बंशीलाल यादव ,शशि साहू ,गीताविश्वकर्मा, दरोगादास महंत ,अजय सागर गुप्ता उपस्थित रहे।कार्यक्रम का संचालन कृष्णकुमार चन्द्रा ने किया।

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