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Chhattisgarh

प्रसिद्ध महामाया मंदिर में जले 820 ज्योति कलश,मंत्रोचार के साथ हुआ दीप प्रज्वलित

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“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम । कमलक्षेत्र की आराध्य देवी मां महामाया मंदिर में इस बार 820 ज्योति कलश प्रचलित हुए हैं। प्रथम दिन से ही श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर परिसर में हो गई है घंटियों की झंकार तथा जस गीतों की फुहार उड़ रही है। ज्योति कलश का दर्शन करने के लिए लोग मंदिर के सिढ़ी से ऊपर चढ़े। यहां पर अलग-अलग क्रम में ज्योति कलश प्रचलित किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि मां महामाया को कमल क्षेत्र की आराध्य देवी माना जाता है। छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य प्रदेशों से भी लोग दीप प्रज्वलित करते हैं। एक ही गर्भगृह में दो देवी विराजमान है जबकि एक गर्भगृह में एक ही देवी के स्थापना होने की जानकारी मिलती है परंतु यहां दोनों देवियां की प्रतिमा प्रकट हुई है। मुख्य द्वार से मां महामाया तथा उनके दायी ओर देवी काली मां विराजमान है। इन्हें मुख्य द्वार से देखने के लिए दर्पण लगाया गया है दोनों देवियों की ऊंचाई लगभग बराबर है पूरी दुनिया में यह मंदिर की अपनी अलग विशेषता है। दीप प्रज्वलन पंडित विजय शर्मा, मंदिर के पुजारी बलदेव प्रसाद ठाकुर, नीरज ठाकुर तथा मां महामाया शीतला प्रबंध समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न धीवर, पवन सोनकर, जितेंद्र सोनकर, लीलेश्वर यदु, पवन सोनी, फागुन निषाद, अरविंद यादव, बाल्मीकि धीवर, फगवा निषाद, रमेश साहू, लखन महोबिया, जितेंद्र सोनी, लखन निर्मलकर, कान्हा महोबिया, नारायण धीवर, राकेश गुप्ता, गोपाल निषाद, विक्की साहू, शत्रुघ्न निर्मलकर, पीतांबर यादव, पुनाराम निषाद, मोहित निषाद सभी इस मौके पर उपस्थित थे तथा व्यवस्थापक नजरें गड़ाए हुए हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो।
शीतला मंदिर में जले97 ज्योति-
प्राचीन शीतला मंदिर में इस बार 97 ज्योति कलश प्रज्वलित किया गया है। इस मंदिर पर श्रद्धालुओं की अगाध श्रद्धा है। वैसे भी मां शीतला को गांव का गद्दी कहा जाता है। शीतला के दरबार में आने पर हर श्रद्धालुओं के दुख दूर हो जाते हैं ऐसी मान्यता है। राजिम के शीतला मंदिर अत्यंत प्राचीन है यह संगम के किनारे में ही स्थित है। मंदिर के सामने एक तालाब है। गर्मी में सूख जाता है हालांकि पानी भरने के लिए मोटर पंप की व्यवस्था की गई है। दिन यहां श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है।
सत्ती मंदिर में जले 27 ज्योति-
शहर के चौबेबांधा रोड में स्थित देवी सत्ती मंदिर में इस बार 27 मनोकामना ज्योति कलश प्रचलित किए गए हैं। मान्यता है कि जोड़ा नारियल चढ़ाने से भक्तों की हर मुरादे पूरी हो जाती है। देवी मां छोटे से मंदिर में विराजमान है। पिछले 10 साल पहले यह स्थल अनदेखी का दंश झेल रहा था परंतु कुछ नव युवकों ने इस स्थल को रमणीय बना दिया। माता के मंदिर के सामने ही हनुमान जी का नया मंदिर स्थापित किया गया है तथा इन्हीं के बगल में ज्योति कक्ष का निर्माण किया गया है। देवी सत्ती के नाम से ही इनके पीछे के तालाब को सत्ती तरिया कहा जाता है।
चंडी मंदिर में जले आस्था के जोत
महामाया मंदिर से 100 गज की दूरी पर स्थित पुरानी हवेली में देवी चंडी का मंदिर है बताया जाता है कि इस मूर्ति की स्थापना किसने किया किसी को पता नहीं है कुछ लोगों ने बताया कि यह प्राकृतिक है। इस मंदिर में अब प्रति नवरात्र पर्व ज्योति कलश प्रचलित किए जाते हैं जिसमें श्रद्धालुओं का मां के दर्शन करने के लिए जरूर उपस्थित होते हैं।
संगम में स्थित दुर्गा मंदिर में जले ज्योति कलश
त्रिवेणी संगम स्थित पंचमुखी कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर के द्वितीय गर्भ गृह में जगत जननी मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित है यहां भी ज्योति कलश प्रचलित किए गए हैं सुबह-शाम घंटियों की झंकार से माहौल भक्तिमय हो गया है प्रथम दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होकर दर्शन पूजन किए।

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