The Popatlal

सच्ची खबर देंगे पोपटलाल

ChhattisgarhMISC

गर्मी ने बढ़ा दी फलों के राजा आम की डिमांड

Spread the love

”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम । शहर में इन दिनों आम की कीमत पिछले महीना से स्थिर है। कीमत जो भी हो आम खाने वालों की संख्या कम नहीं बल्कि बढ़ी है। बता दे कि इस बार आम की आवक अच्छी है। पूरे जेठ माह समाप्त होने को है परंतु अभी तक न कोई बड़े आंधी तूफान आए हैं और ना ही कोई बदली बारिश हुई है जिनके कारण आम की उपज को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है तथा ठोक मंडियों में बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं पसरा बाजार में बैंगन आम₹100 किलो, आम्रपाली ₹100 किलो, दशहरी आम ₹100 किलो, सुन्दरी ₹100 किलो, कलमी आम ₹70 किलो, गरती आम ₹50 किलो कीमत में बिक रही है। ठेले पर रायपुर रोड स्थित सड़क में बेच रहे पिंटू देवांगन ने बताया कि दशहरी आम की डिमांड सबसे ज्यादा है। मोलभाव करने के बाद 80,90 रूपया किलो तक में दे देते हैं। उन्होंने बताया कि स्थानीय राजिम एवं नवापारा सब्जी मंडी में लोकल आवक है। अधिकतर रायपुर के फल मार्केट से ही आम खरीद कर लाते हैं वहां एमपी से ज्यादातर आम आ रहे हैं। कहना होगा कि शहर में आम की दुकानें जगह-जगह सजी हुई है। आने जाने वाले लोगों की या फिर बच्चों की सबसे पहली पसंद आम होती है वैसे आम का जूस किसे अच्छा नहीं लगता फिर भी लोग आम रसीले होते हैं इसलिए उनको काटकर या फिर चूस कर खाना ज्यादा पसंद करते हैं। कई लोग तो आम को दांत से चबाकर ही खा लेते हैं। हालांकि मार्केट में कंपनियों के द्वारा बोतलबंद आम के जूस मिलती है परंतु ऋतु फल होने के कारण गर्मी के दिनों में मंडियों या फिर पसरा बाजार में आम अपनी विशेष पहचान बनाए हुए होते हैं। आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया को महाप्रभु जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाती है उस दिन तो लोग आम खाना नहीं भूलते कुछ लोगों ने प्रसाद के रूप में उपयोग करते हैं तो कुछ लोग शौक से पूरे परिवार सहित खाते और खिलाते हैं। आम का अचार बनाने के लिए भी लोग ने बड़ी संख्या में मार्केट से खरीद कर ले जा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक आम का वैज्ञानिक नाम मैं मेंगीफेरा इंडिका है संस्कृत में आम को आम्र कहते हैं। अमजद कच्चा रहता है तो उसमें विटामिन सी की मात्रा ज्यादा पाई जाती है जब भी आप पक जाता है तो इसमें विटामिन ए की मात्रा अधिक हो जाती है। आम उत्पादन के मामले में भारत नंबर वन पर है। दुनिया भर में अन्य फलों की तुलना में सबसे ज्यादा आम खाया जाता है। आम की मिठास दूर तक फैलती है इन्हें छिपाकर भी रखने से इनकी सुगंध से लोग जान जाते हैं।
ध्रुव कुमार, शोभाराम ने बताया कि आम को तोड़ने में बड़ी मेहनत लगती है पेड़ पर चढ़ा तो माटरा परेशान करते हैं इसलिए बांस से बनी हुई डंगनी से आम फल आसानी से तोड़ा जाता है। शहर से लगा हुआ गांव बासीन, कौंदकेरा, किरवई,लोहरसी, सिंधौरी आदि गांव में आम का बगीचा है जहां से बड़ी संख्या में सब्जी मंडियों में आम फल बिक्री के लिए आते हैं।
आज एकादशी है अर्थात 4 दिन बाद आषाढ़ माह लग जाएगी उसके बाद 15 जून से मानसून का आगमन भी है वर्षा होने के बाद भी आम का क्रेज बना रहता है लेकिन आवक कम हो जाती है। पूरे आषाढ़ माह तक आम के फल आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *