बेचाघाट आंदोलनकारियों ने झोंकी ताकत हजारों की संख्या में रैली निकाल किया सभा का आयोजन
“नरेश भीमगज की रिपोर्ट”
कांकेर। जल जंगल जमीन को लेकर एक बार फिर सर्व आदिवासी समाज ब्लॉक इकाई पखांजूर व बेचा घाट संघर्ष समिति द्वारा बेचा घाट आंदोलन को दो वर्ष पूर्ण होने पर विशाल महासभा व रैली आहूत की गई जिसमें हजारों की संख्या में महिला, पुरुष, बुजुर्ग, युवक-युवती व बच्चें शामिल हुए बेचाघाट से रैली के माध्यम से विरोध जताते हुए नारेबाजी कर बाजे गाजे के साथ इस आंदोलन का आगाज हुआ व रैली के पश्चात सभा का आयोजन हुआ। इस आंदोलन में किसी भी प्रकार की अनहोनी न हो इसको लेकर पुलिस ने भी तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था कर रखी थी।ज्ञात हो कि बेचाघाट आन्दोलन को लगभग दो वर्ष पूर्ण होने को है वहीं इस दौरान सत्ता परिवर्तन भी हो गया लेकिन अब तक इनकी जो मांगे है उनको आज पर्यन्त तक पूर्ण नही किया गया है जिसको लेकर बेचाघाट क्षेत्र के आसपास के ग्रामीण अपना घर द्वार को छोड़ तंबू लगा इस आंदोलन को जारी रखने में जुटे हुए है।आंदोलनकारियों का कहना है किकेन्द्र व राज्य सरकार विगत कुछ वर्षों से आदिवासियों को उनके जल-जंगल और जमीन से विस्थापित करने के लिए विभिन्न प्रकार की कुटनीति बना रही है क्योकि आदिवासियों की जल-जंगल और जमीन पर कई किस्म की खनिज सम्पदा जैसे हीरा, बॉक्साइड, लोहा, आयस्क, सोना, चांदी, आदि पाई जाती है। इन खनिज सम्पदाओं को केन्द्र व राज्य सरकारे अपने मुनाफा के लिए बड़े-बड़े उद्योगपति कारपोरेट कंपनियों से समझौता कर जगह-जगह पुलिस कैम्प एवं बी.एस.एफ. कैम्प स्थापित कर आदिवासियों को उनके जल-जंगल और जमीन से बेदखल करने की साजिश कर रही है। जिसके खिलाफ बस्तर संभाग में लगभग 40 जगहों पर आदिवासी जनता आन्दोलनरत है। जैसे हसदेव, सिलगेर, बेचापाल, एड्समेटा, गंगालूर, बेचाघाट, रावघाट, आमदाई आदि जगहों पर विगत एक साल से आंदोलन चलाया जा रहा है। केन्द्र व राज्य सरकार निरन्तर इन जनांदोलनो को कुचलने व (ध्वस्त) करने के लिए आन्दोलन में शामिल कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी और आन्दोलनरत जनता पर लाठीचार्ज कर रही है तथा आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़ करवा रही है। इन्हीं अत्याचार व शोषण के खिलाफ विगत 7 दिसम्बर 2021 से कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा ब्लॉक के अंतिम छोर बेचाघाट के कोटरी नदी के तट पर बिना ग्रामसभा के सहमति के प्रशासन द्वारा प्रस्तावित पुल, पुलिया, बी.एस.एफ. कैम्प और सितराम में पर्यटन केन्द्र खोले जाने के विरोध में विगत दो वर्षो से आंदोलन चलाया जा रहा है।आज बेचाघाट संघर्ष समिति के बैनर तले आयोजित इस आन्दोलन में कांकेर जिले के अलावा अन्य जिलों से भी लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे।जहाँ सभा को समाज प्रमुख व सामाजिक नेताओं व आन्दोलन से जुड़े लोगों ने सम्बोधित किया। साथ ही उन्होंने मंच के माध्यम से स्पष्ट केंद्र व राज्य सरकार पर निशाना साधा साथ ही आदिवासियों के जल जंगल जमीन के खिलाफ बनाये गये सभी कानूनों को रद्द करने की बात कही है।सभा में मुख्य रूप से रघु मिडियामी अध्यक्ष बस्तर जन संघर्ष समिति, मैनी कचलाम उपाध्यक्ष बस्तर जन संघर्ष समिति, अजित नुरेटी अध्यक्ष बेचाघाट संघर्ष समिति, राजेश नुरेटी प्रदेश अध्यक्ष आदिवासी छात्र युवा संगठन, लुकेश्ववरी नेताम आदिवासी समाज गरियाबंद, सियाराम पुड़ो ब्लॉक अध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज कोयलीबेड़ा, सुदेश टेकाम अध्यक्ष प्रदेश किसान मोर्चा सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।