आरती ने राम मंदिर के सामने रंगोली से उकेरा कमल क्षेत्र
“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम । रामनवमी के अवसर पर प्रसिद्ध प्राचीन रामचंद्र देवल मंदिर के सामने कु. आरती साहू ने रंगोली के विभिन्न रंगों को मिलाकर शानदार कमल पुष्प एवं शंख का रंगोली बनाया। उन्होंने सबसे पहले बॉर्डर बनाया चूंकि इस धरा का नाम प्रयाग भूमि के साथ ही कमलक्षेत्र भी है। कमल क्षेत्र का निर्धारण त्रिवेणी संगम के चारों ओर पांच शिवलिंग पटेवा में पटेश्वरनाथ महादेव, चंपारण में चम्पकेश्वरनाथ महादेव, बम्हनी में ब्रह्मकेश्ववरनाथ महादेव, फिंगेश्वर में फणीकेश्वरनाथ महादेव एवं कोपरा में कर्पूरेश्वरनाथ महादेव से होता है। कमल क्षेत्र के स्वामी भगवान राजीवलोचन को माना गया है वह अपने हाथों में शंख, चक्र, गदा एवं पद्म धारण किए हुए हैं। इसलिए आरती ने कमल पुष्प के सामने ही शंख का चित्र उकेरा। इनके द्वारा बनाए गए रंगोली आकर्षण का केंद्र रही। प्रत्येक श्रद्धालु दर्शन के लिए आ रहे थे बरबस सी रंगोली अपनी हो आकर्षित करते रहे। उन्होंने प्रशंसा करने नहीं भूले। उल्लेखनीय है कि राम जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया गया जिसके अंतर्गत प्रयाग भूमि राजिम के मंदिरों में विशेष रुप से श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई। यहां के प्रसिद्ध रामचंद्र देवल जो राजीवलोचन मंदिर से 500 गज की दूरी पर महामाया मंदिर सड़क किनारे स्थित है। गर्भगृह में राम, लक्ष्मण एवं माता सीता विराजमान है। दोनों भाई हाथों में धनुष बाण लिए हुए हैं। वनवासी वेशभूषा रामायण काल के तीनों मूर्तियों के छवि देखते ही बनती है। बताया जाता है कि यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है। इसका निर्माण सातवीं शताब्दी माना गया है। मंदिर के प्रस्तर स्तंभों में बड़ी ही सुंदर कलाकृतियों की नक्काशी की गई है इस मंदिर के चार अंग है पहला महामंडप, दूसरा अंतराल, तीसरा गर्भगृह और चौथा प्रदक्षिणापथ है। इस मंदिर में भारतीय कला संस्कृति का नायाब नमूना देखने को मिलता है। उकेरी गई कलात्मक प्रतिमाएं लोगों को हैरत में डाल देती है। ज्ञातव्य हो कि रामजन्म उत्सव पर सुबह से ही भजन कीर्तन का कार्यक्रम शुरू हुआ इस दौरान भगवान को सर्व स्नान कराया गया तथा पंजरी का भोग प्रसादी समर्पित किया। भए प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी… के गूंजते ही मंदिरों में घंटियों की झंकार तथा प्रभु रामचंद्र की जयकारा से पूरा माहौल राम में हो गया। मंदिर के पुजारी कृष्ण कुमार वैष्णव एवं दीपक वैष्णव ने बताया कि राम नवमी के अवसर पर खीर पूड़ी के साथ ही हलवा के प्रसाद का विशेष रूप से वितरण किया गया दिनभर भजन कीर्तन होते रहे जिससे यहां भक्ति में माहौल निर्मित रहा।