आधुनिक भारत के सशक्त क्रान्तिदर्शी गुरु हैं बाबा घासीदास: बृजमोहन अग्रवाल
रायपुर। छत्तीसगढ़ समेत पूरी दुनिया के लिए आदर्श और सत्य की स्थापना करने वाले गुरु घासीदास जी अध्यात्म और समृद्ध समाज के सिद्धातों की जो विरासत छोड़ गए हैं, उसके लिए हम सदैव उनके ऋणी रहेंगे। समानता और मानव अधिकार पर आधारित सभी नियम आज भी मानव जीवन के बेहतरी के लिए प्रासंगिक है; उनके ये सिद्धांत युगों-युगों तक प्रासंगिक रहेंगे। व्यक्तिगत तौर पर मेरे राजनीतिक जीवन में गुरु घासीदास जी का बड़ा ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है, उनकी प्रेरणा ने हमेशा सेवाकार्यों के लिए प्रेरित किया है। उनके सामाजिक, धार्मिक, आध्यात्मिक और शैक्षणिक आंदोलन से केवल सतनामी समाज ही नहीं बल्कि देश के हर जाति, वर्ण और धर्म के लोग लाभान्वित हुए हैं; खासकर दलित, वंचित और महिलाओं के हक के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। कई बार गुरु घासीदास जी को एक समाज का आराध्य बता दिया जाता है मगर ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, समाज को मार्ग दिखाने वाला गुरू सबका होता है, जिनके ज्ञान से समाज सत्य के रास्ते पर चल पड़े वो किसी राज्य, देश नहीं बल्कि पूरा विश्व ऐसे व्यक्तित्व का अनुकरण करने लगता है। गुरु घासीदास बाबा का जन्म एक ऐसे समय में हुआ जब पूरे देश में सामाजिक असमानता, छुआछूत, द्वेष, दुर्भावना और घृणा जैसे घोर अमानवीय नियमों के चलते समाज कई वर्गों में बंटा था। जिसे समाप्त करने में गुरु घासीदास बाबा का अहम योगदान रहा है। गुरु घासीदास ने समाज में व्याप्त कुप्रथाओं का बचपन से ही विरोध किया। गुरु घासीदास जी ने समाज में व्याप्त छुआछूत की भावना के विरुद्ध ‘मनखे-मनखे एक समान’ का संदेश दिया, जो समस्त सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक, आध्यात्मिक और दार्शनिक सिद्धांतों का निचोड़ है। छत्तीसगढ़ राज्य में गुरु घासीदास जी के विचारों की उर्जा का ही परिणाम है कि 18 दिसंबर को उनकी जयंती पर पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ उत्सव मनाया जाता है। गुरु घासीदास जी ने हमेशा निचले तबके के लोगों को उपर उठाने का काम किया। कृषि सुधार के तहत एक समय में, एक ही भूमि में, एक साथ एक से अधिक फसल के उत्पादन करने का तरीका सिखाया। उन्होंने बताया कि एक साथ हम कई तरह की फसलों का लाभ ले सकते हैं। गुरु घासीदास का जीवन-दर्शन युगों तक मानवता का संदेश देता रहेगा। ये आधुनिक युग के सशक्त क्रान्तिदर्शी गुरु थे। उनका व्यक्तित्व ऐसा प्रकाश स्तंभ है, जिसमें सत्य, अहिंसा, करुणा तथा जीवन ध्येय झलकता है। जिसे कोई भी अपने जीवन में उतारकर जीवन को सफल और सार्थक बना सकता है। मुझे इस बात की खुशी है कि जब मैं पीडब्ल्यूडी मंत्री था तब जैतखाम का पूरा डिजाइन रुड़की से करवाया था ताकि किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा का असर न पड़े। जब पटवा सरकार में मंत्री था उस वक्त राजमाता सिंधिया आई हुईं थी और पटवा जी भी आए हुए थे, भंडार पुरी के मंदिर का निर्माण पटवा के सरकार में हुआ था। गिरौदपुरी मंदिर का निर्माण का सौभाग्य भी हमारी सरकार को मिला। गांव-गांव में गुरु घासीदास बाबा का भवन, जिन मोहल्ले में हमारे सतनामी समाज के लोग ज्यादा हैं, वहां पर गुरु घासीदास भवन का निर्माण और खुशहाली स्थापित करने का काम किया। बाबा गुरु घासीदास ने भी समाज को सदैव खुशहाली का मार्ग दिखाया है। बाबा किसी एक समाज नहीं अपितु सर्वजनों के सुख की कामना करते थे। उन्होंने सामाजिक बुराईयों से दूर रहकर कैसे समाज और परिवार में खुशहाली लाई जा सकती है इसका ज्ञान हमें दिया है। आज आवश्यकता है कि बाबा के बताए रास्ते पर आगे बढ़े ताकि हमारे परिवार व् समाज मे सुख,समृद्धि और शान्ति बनी रहे।