पंचमी पर सजाया बैरग,हुआ माता श्रृंगार
“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम । चैत नवरात्र में पंचमी के अवसर पर गांव शहर सभी जगह के लोग माता की भक्ति में लीन रहे। सुबह से ही देवी मंदिरों के अलावा जोत जंवारा स्थलों में जाकर श्रद्धालुगण नारियल, धूप अगरबत्ती एवं पुष्प चढ़ाते रहे। 9 दिन के नवरात्र पर्व में प्रत्येक दिन माता के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना होती है। पंचमी के अवसर पर शीतला मंदिर में भी देवी शीतला की पूजा अर्चना के साथ ही श्रृंगार के सामग्री अर्पित किए गए तथा उन्हें नए वस्त्र पहनाया गया। दूसरी ओर माता सेवा के गीत बज रहे थे। बैरक सजाया गया। पुजारी ध्रुव कुमार ने बताया कि बैरग काला कलर का वस्त्र लगा रहता है वह बूढ़ी माई का प्रतीक है तथा सफेद ठाकुर देव एवं लाल रंग लंगूरवा के रूप में पूजा किया जाता है इन्हें सजा कर जंवारा स्थल पर सेवा गीत गाते हुए लाया गया। चौबेबांधा में जैसे ही घर के पास आए श्रद्धालुओं ने सबसे पहले आरती उतारी उसके बाद बंदन का टीका लगाकर श्रद्धा समर्पित किए गए। बैरग को पीढ़ा में रखा गया। ग्रामीण देवी देवताओं की पूजा अर्चना के साथ ही पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। सेवा समिति के गणेश साहू, मंथीर पाल, लोचन निषाद, पंचराम पाल, सीताराम सोनकर, पिंटू पाल, तेज कुमार ध्रुव ने बताया कि पंचमी में अधिकतर श्रृंगार के गीत प्रस्तुत किए गए। आज से सांग या फिर बाना लेना प्रारंभ हो जाता है माता सेवा में माता की महिमा का वर्णन किया जाता है जिन्हें सुनने के बाद भक्तगण भावविभोर हो जाते हैं। सेवा गीत प्रस्तुत करने के लिए वाद्य यंत्रों का उपयोग किया जाता है इन्हें सीखने के लिए लंबा समय लगता है यह पारंपरिक एवं आधुनिक दो धुनों पर प्रस्तुत किया जाता है। शहर के देवी मंदिरों जिनमें प्रसिद्ध मां महामाया मंदिर, चंडी मंदिर, सती मंदिर, शीतला मंदिर, दुर्गा मंदिर, दंतेश्वरी मंदिर, मावली माता आदि जगहों पर पूजन आरती के साथ ही भक्तिमय माहौल रहा। चौबेबांधा,सिंधौरी, बरोंडा, श्यामनगर,सुरससबांधा, तर्रा, कोपरा, धूमा,देवरी, पीतईबंद,बकली,परसदा जोशी,सेम्हरतरा,बेलटुकरी,भैंसातरा,कौंदकेरा,किरवई,धमनी सहित अनेक गांव में पंचमी का पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर जंवारा की ऊंचाई बढ़ने के बाद कलश चढ़ाने का अनुष्ठान भी हुआ।