बस्तर की चार प्रमुख कला और शिल्प का उपयोग करके बनाया गया बांस की साइकिल
रायपुर। कभी रक्तपात और नक्सलवाद के लिए जाने जाना वाला छत्तीसगढ़ का आदिवासी बहुल बस्तर क्षेत्र अब विकास और नई संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। खेल या शिल्प के क्षेत्र में प्रतिभा का एक पूल छत्तीसगढ़ के इस आदिवासी बेल्ट में व्यापक रूप से वितरित किया जाता है। ऐसा ही एक बस्तर के जगदलपुर शहर के एक सामाजिक कार्य पेशेवर का है, जिसने छत्तीसगढ़ की पहली बाँस की साइकिल “बाँबूका” बनाने की परियोजना शुरू की है, जिसका अर्थ है बाँस का उपयोग करना। यह बांस चक्र बस्तर की चार प्रमुख कला और शिल्प का उपयोग करके बनाया गया है जिसमें ढोकरा कला, लोहा, शीश और बांस शिल्प शामिल हैं, जिससे इस आदिवासी बहुल क्षेत्र के अद्वितीय हस्तशिल्प को संरक्षित और बढ़ावा मिलता है। विशिष्ट रूप से निर्मित इस बांस की साइकिल को यहां साइंस कॉलेज ग्राउंड में आयोजित राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव और ‘राज्योत्सव 2021’ में लॉन्च किया गया है, जहां इसे प्रदर्शन के लिए रखा गया है और प्री-बुकिंग के लिए उपलब्ध है।