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भू-राजस्व विभाग की ऑनलाइन प्रक्रिया को सुदृढ करने एवं किसान हित के लिए भावना बोहरा ने विधानसभा में किया ध्यानाकर्षण

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“दीपक ठाकुर की रिपोर्ट”


कवर्धा। छत्तीसगढ़ विधानसभा में पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने भू-अभिलेख शाखा में ऑनलाइन कार्यों से आम जनता को हो रही परेशानियों के प्रति सदन का ध्यानाकर्षण किया। उन्होंने ऑनलाइन प्रक्रिया में हो रही त्रुटियों के बारे में सदन में चर्चा कर उसके समाधान हेतु भी अपनी बात रखी। इसके साथ ही उन्होंने शून्यकाल में किसानों के हित के लिए ओला वृष्टि की वजह से किसानों के फसलों को हुए नुकसान के संदर्भ में भी प्रमुखता से अपनी बात रखी। भावना बोहरा ने कहा कि आज हमारा देश डिजिटल इंडिया की ओर अग्रसर है। डिजिटल क्रांति से आज कई बड़े बदलाव हमें देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में कुछ त्रुटियां भी होती हैं जिनका निराकरण करना कई हद तक आसान भी हो चुका है। इसी ओर कदम बढ़ाते हुए शासकीय प्रक्रियाएं भी ऑनलाइन हो रही हैं। भू-अभिलेख शाखा का भी डिजिटलीकरण इसी उद्देश्य के साथ किया गया है ताकि जनता को सुविधा मिल सके। परंतु कुछ त्रुटियां व प्रक्रियाएं हैं, जिनकी वजह से आमजनों को दिक्कतें हो रही हैं। उन्होंने कहा कि भू-अभिलेख शाखा के मोबाइल एप भुइयां में क्लाउड स्टोरेज कम होने की वजह से अधिकांश समय या तो सर्वर डाउन रहता है, या फिर डाटा अपडेट करने में समय लगता इसके निराकरण के लिए क्लाउड स्टोरेज बढ़ाने से इसका समाधान हो सकता है। इसके साथ ही बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें भुइयां एप के बारे में या तो अधिक जानकारी नही है अथवा उसके संचालन की प्रक्रिया मालूम नही है, उसके लिए शासन एवं प्रशासन द्वारा समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाए जाने से जनता को सुविधा व जानकारी दोनों होगी एवं चॉइस सेंटर और पटवारियों के पास आने-जाने की असुविधा से बच सकेंगे। उन्होंने पटवारियों को समय समय पर प्रशिक्षण एवं मात्रात्मक त्रुटियों के सुधार हेतु तहसीलदार को अधिकार देने के विषय में भी सदन का ध्यानाकर्षण किया साथ ही भुइयां एप शुरू होने के पूर्व के रिकॉर्ड जो अभी तक ऑनलाइन दर्ज नही हुए हैं उन्हें भी ऑनलाइन करने की बात सदन में रखी। जिले में 95500 हेक्टेयर में चना और 17000 हेक्टेयर में गेहूं की फसल की गई है, जिस क्षेत्र में ओलवृष्टि हुई है वहां चने की फसल अधिक है। करीब 80 हेक्टेयर में पपीता, 50 हेक्टेयर में टमाटर, 50 हेक्टेयर में केले को फसल को नुकसान हुआ है। इस नुकसान की वजह से किसानों को भी आर्थिक नुकसान हुआ है। अतः इस विषय को प्रमुखता से संज्ञान में लेते हुए इसके लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर नुकसान हुए फसल का सर्वे किया जाए और प्रभावित किसानों को उसका उचित मुआवजा देने का भी आग्रह किया।

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