बड़ी लापरवाही, तीन माह बच्चों को मध्यान्ह भोजन से दूर रखने वाले प्राचार्य पर किसी ने नही की कार्रवाई, आत्मानंद विद्यालय के प्राचार्य की लापरवाही

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”दीपक ठाकुर की रिपोर्ट”

कवर्धा।प्रदेश के मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी व प्रदेश की पहचान बदलने वाली आत्मानंद विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को तीन माह न तो मध्यान्ह भोजन दिया गया और न ही सूखा राशन वितरण किया गया। जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री के स्वप्न को पूरा करने वाला आत्मानंद विद्यालय और बच्चों की महत्वपूर्ण योजना एमडीएम मध्यान्ह भोजन में घोर लापरवाही कवर्धा शहर के प्रथम आत्मानंद विद्यायल में बरता गया है। इसके बाद भी बच्चों को मध्यान्ह भोजन न कराने वाले लापरवाह प्राचार्य पर कोई कार्रवाई नही किया गया। जबकि शासन की योजना को तीन माह बन्द कर दिया गया था। शहर के प्रथम आत्मानंद विद्यालय के प्राचार्य की जिम्मेदारी थी कि वह किसी भी परिस्थिति में बच्चों को मध्यान्ह पक्का हुआ भोजन कराएं या सूखा राशन उपलब्ध कराए लेकिन प्राचार्य में इस योजना को सुचारू रूप से चलाने कोई रुचि नही लिया और बच्चों को तीन माह योजना का लाभ नही दिया गया।
नोटिस देकर चुप रहे अधिकारी
तीन माह तक बच्चों को न तो मध्यान्ह भोजन दिया गया और न ही सूखा राशन दिया गया, इसके बाद भी केवल बीईओ कार्यलय से मात्र दो बार नोटिस जारी किया गया। जबकि नोटिस मिलने के बाद भी योजना का संचालन नही किया गया और न ही कोई कार्रवाई की गई। इस प्रकार आत्मानंद विद्यालय के प्राचार्य की मनमानी के आगे अधिकारी खामोस रहे।
इन सब मे बच्चों का नुकसान
आत्मानंद विद्यालय के प्राचार्य के अनुसार स्कूल के पास स्वयं का भवन नही था। क्लास अलग-अलग भवन में लग रहा था। इसके कारण भोजन देना मुश्किल हुआ है। लेकिन इन सब से केवल नुकसान बच्चों को हुआ है। तीन माह शासन की योजना का लाभ नही मिल पाया। जबकि अन्य सरकारी स्कूल में 5 दिन मध्यान्ह भोजन नही मिलता है तो कार्रवाई हो जाती है। प्राचार्य की जिम्मेदारी होती है कि वह भोजन उपलब्ध कराए, पर यहां तीन माह योजना का लाभ नही दिया गया फिर भी कोई कार्रवाई नही हुई है।
शासन की योजना का लाभ देना जरूरी
स्कुलो में बच्चों के पर्याप्त पोषण मिल सके। इसके लिए शासन ने शासकीय स्कुलो में मध्यान्ह भोजन दिया जाता है। पक्का गर्म भोजन इसी के कारण दिया जाता है शासन की योजना का संचालन किसी भी हालत में करना होता है। इसकी सारी जिम्मेदारी प्राचार्य को दी गई है। लेकिन प्राचार्य ही ध्यान न दे तो बच्चों को योजना का लाभ कैसे मिल पाएगा।
वर्सन
अलग अलग भवन में विद्यालय संचालित होने व स्वयं का भवन नही होने के कारण बच्चों को भोजन व सूखा राशन देना मुश्किल हुआ है। एक बार नोटिस मिला था जिसका जवाब दे दिया गया था। महिला स्व सहायता समूह का भी गठन नही हुआ था। इसके कारण परेशानी हुई थी।
रंगलाल बारले, प्राचार्य, आत्मानंद इंग्लिस मीडियम स्कूल कवर्धा।

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