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शरीर नश्वर है तथा आत्मा अजर अमर है: गीता गोस्वामी

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“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम। शहर के गांधीनगर में चल रहे भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह का गीता पाठ के साथ ही पूर्ण होती हुई और उनके साथी भागवत कथा का समापन हुआ। गीता पाठ से पहले शोभायात्रा निकाली गई जो पूरे नगर का भ्रमण करते हुए आगे बढ़े। लोग धुमाल की धुन पर नाचते गाते रहे। पूर्णाहुति यज्ञ में बड़ी संख्या में लोगों ने आहुतियां डाली। गीता प्रवचन करते हुए प्रवचन कर्ता गीता गोस्वामी ने कहा कि आत्मा अजर अमर है तथा शरीर नश्वर है जिस तरह से हम कपड़े बदलते हैं और हल्की हरकत के बाद शरीर नए कपड़े धारण कर लेते हैं ठीक इसी तरह से यह शरीर पुरानी होने के बाद आत्मा ने शरीर में प्रवेश कर जाती है। ईश्वर ने सबको समान रूप से दिन और रात तथा प्रकृति के तमाम सुविधाएं प्रदान की है। जब सब कुछ वही है तब हम कैसे कह सकते हैं कि सब कुछ बदल गया है आज भी सब कुछ वही है बदले हैं तो मात्र विचार। व्यक्ति विचार से ही मोटिवेट होता है। अच्छे विचार रखें इससे जीवन जीने का ढंग बदल जाता है नेगेटिव विचारधारा मुश्किल में डाल देती है तथा सकारात्मकता दिशा और दशा दोनों बदल कर रख देती है। प्रवचनकर्ता गीता गोस्वामी आगे कहा कि भगवान श्री कृष्ण कुरुक्षेत्र पर अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया। संजय धृतराष्ट्र को पूरा ज्ञान के एक-एक शब्द को बताया और इसी तरह से गीता का ज्ञान वायरल हुआ। जो व्यक्ति गीता के 18 अध्याय को पढ़ लेता है वह जीवन के मूल रहस्य को जान लेता है। सचमुच में हम क्या लेकर आए हैं और क्या लेकर चले जाएंगे यह मृत्युलोक है सब कुछ यही मिलता है और उपभोग करने के बाद जब इस शरीर को छोड़कर आत्मा परमात्मा में विलीन होने के लिए चली जाती है तब अपने साथ यहां से मिट्टी करेक्कड़ भी नहीं ले जाते अर्थात सब कुछ यहीं छोड़ कर चला जाना पड़ता है। जिस धन दौलत के लिए हम रात दिन एक करते हैं वह सब यहीं छूट जाते हैं सच कहूं तो व्यक्ति अर्थ का दास हो गया है। संपत्ति इकट्ठा करने के चक्कर में हम सब कुछ भूल जाते हैं जबकि हमें ऐसा नहीं करना चाहिए यह दुनिया प्रेम व्यवहार एकता एवं अनुशासन में रहकर जीवन जीने का नाम है। कहते हैं की बड़ी मुश्किल से मनुष्य का जन्म मिलता है इनका सदुपयोग करें। लोग कहते हैं समाज दिशाहीन हो रहे हैं इनका मुख्य कारण धर्म से दूर होना है यदि धर्म अध्यात्म से लोगों का लगाव बना रहे तो इससे अनुशासन आएगी और भूलकर भी लोग गलत कार्य नहीं कर पाएंगे अर्थात अच्छे कार्य होंगे भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि मृत्युलोक में जो प्राणी आए हैं उनको एक दिन जाना ही है। जब जाने की बात तय है तो फिर इतना दिन और रात एक करने तथा हाय तौबा मचाने का मतलब क्या हुआ। सभी से प्रेम के साथ में वार्तालाप करें। मनुष्य को कुछ लेने देने के वजह प्रेम की भाषा का उपयोग करें यह नजदीक लाने का काम करते हैं प्रेम कभी संकट पैदा नहीं करती बल्कि दूरी कम करने का काम करती है।

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