अंग्रेजी और हिंदी माध्यम के छात्रों के साथ ब्रिटिश कालीन भेदभाव – बृजमोहन
रायपुर। वरिष्ठ भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा के नाम पर आदिवासियों, ग्रामीणों, गरीबों और मजदूरों के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने का गहरा षड़यंत्र चल रहा है। दुर्दशा इस कदर है कि दिसंबर 2022 की स्थिति में सुकमा जिले के ग्राम पंचायत गुफड़ी के पटेलपारा स्कूल में शिक्षक नहीं होने से यहां पर पदस्थ सफाई कर्मी बच्चों को पढ़ा रहा है। शिक्षक की कमी के चलते नवंबर 2022 में कबीरधाम जिले के वनांचल क्षेत्र झलमला शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के स्कूली बच्चे स्कूल से चलकर कलेक्ट्रेट पहुंच गए। वहां पहुंच कर बच्चों ने कई महीनों से स्कूल में शिक्षक नहीं होने और पढाई ठप्प होने की जानकारी कलेक्टर को दी। दिसंबर 2022 की स्थिति में बस्तर जिले के 526 स्कूल एकमात्र शिक्षक के भरोसे हैं, वहीं 143 स्कूल ऐसे हैं, जहां एक भी शिक्षक नहीं है। राजधानी रायपुर के आसपास के कई गांवों में स्कूल शिक्षा रसातल पर है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी शिक्षा के नाम पर पूरी तरह से दुकानदारी शुरू हो गई है। राज्य के नौनिहालों का भविष्य चौपट किया जा रहा है। राज्य सरकार ने वर्ष 2022-23 के बजट में कोई स्कूल खोलने का प्रावधान नहीं किया और न ही नई भर्तियां हो रही हैं। स्कूलों में ऑनलाइन टीचिंग क्लिप्स, यू-टयूब से डाऊनलोड कर टीचर्स और बच्चों पर लादे जा रहे हैं, जिसमें लोक धन के करोड़ों रूपए बर्बाद किये जा रहे हैं। स्कूल शिक्षा में नैतिक शिक्षा को गैर जरूरी मान लिया गया है। अंग्रेजी स्कूलों में अंग्रेजी जानने वाले शिक्षकों और अन्य स्टॉफ की भर्ती हो रही है पर हिंदी माध्यम के स्कूलों को मटियामेट किया जा रहा है। अंग्रेजी और हिंदी के छात्रों में ब्रिटिश कालीन भेदभाव कर दिया गया है।