केंद्र सरकार देश की संपत्ति को बेचने और किसानों को कमजोर करने में लगी है: राकेश टिकैत
राजिम । किसान महापंचायत राजिम में पहुंचे राष्ट्रीय किसान नेताओं ने केन्द्र सरकार पर जमकर हमला बोला। सभी नेताओं ने छत्तीसगढ़ के किसानों को केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों का विरोध करने की अपील की और मोदी सरकार से कानून रद्द करने की मांग की। किसान महापंचायत में राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव और मेघा पाटकर जैसे दर्जनभर से अधिक राष्ट्रीय नेताओ ने पहुंचकर छत्तीसगढ़ के किसानों को आंदोलन से जुड़ने की अपील की।
किसान नेता राकेश टिकैत ने किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार देश की सम्पतियों को बेचने और किसानों को कमजोर करने में लगी है। मोदी सरकार को देश के उद्योगपति चला रहे है। अपने भाषण की शुरुवात “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया” के नारे से करते हुए उन्होंने कहा कि छ्ग के किसानों को भी उनकी फसल और दूध का एमएसपी मूल्य नही मिल रहा है। किसानों को यदि अपनी जमीन, फसल और नस्ल बचानी है तो उन्हें आंदोलन से जुड़ना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यदि यह आंदोलन सफल नहीं हुआ तो फिर भविष्य में कोई ओर आंदोलन सफल नही होगा। उन्होंने युवाओ को आंदोलन से जुड़ने का आह्वान करते हुए चेताया कि केंद्र सरकार प्राइवेटाइजेशन करने में जुटी है। वो दिन दूर नहीं जब युवा मजदूर बनकर रह जायेगा। उन्होंने युवाओं को आंदोलन के बारे में फैलाई जा रही अफवाहों से बचने और एकजुट होकर आंदोलन को सफल बनाने की अपील की है।
संगठन के महासचिव युद्धवीर सिंह ने कहा कि दिल्ली की सरकार ने किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोई कसर नही छोड़ी, मगर आंदोलन मजबूती के साथ आगे बढ़ता जा रहा है और जब तक मांगे पूरी नही होगी आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार अपने चेहते व्यपारियो को मुनाफा पहुंचाने के लिए किसानों को बर्बाद करने पर तुली है।
योगेंद्र यादव ने आंदोलन के बारे में बोलते हुए कहा कि अब ये आंदोलन किसानों की इज्जत का आंदोलन बन चुका है। कुछ लोग जो इसे मुठ्ठी भर इलाके का आंदोलन बताते थे उन्हें किसानों ने 27 सितंबर को भारत बंद कर दिखा दिया कि यह आंदोलन देशभर के किसानों का है। रही सही कसर आज राजिम में आयोजित किसान महापंचायत ने पूरी कर दी है। छ्ग में हुई किसान पंचायत एक महासंग्राम बन चुका है और इसकी गूंज देशभर में सुनाई दे रही है। उन्होंने महापंचायत में पहुंचे किसानों को आश्वासन दिया कि वे इस आंदोलन को लड़ेंगे और जीतेंगे।
मेघा पाटकर ने बोलते हुए आदिवासियों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी गरीब किसानों की जमीन पूंजीपति हड़पने में लगे है। लेकिन अब आदिवासी जाग चुके है। वे ऐसा नही होने देंगे। उन्होंने इसके लिए एक ओर जहां मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला वही प्रदेश की भूपेश सरकार को भी किसानों के हितों की रक्षा के लिए हिदायत दी है। उन्होंने कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पहुंची महिलाओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि यदि इतनी बड़ी संख्या में महिलाएं सामने आई है तो निश्चित ही छ्ग में भी नई रोशनी लाएंगी।
कार्यक्रम के संयोजक तेजराम विद्रोही ने कहा कि यह आंदोलन सिर्फ पंजाब हरियाणा के किसानों से जुड़ा नही है बल्कि देशभर के किसानों से है। उन्होंने छत्तीसगढ़ के किसानों को भी इस आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने का आह्वान किया है।
कार्यक्रम के अंत मे राजिम विधायक अमितेष शुक्ल भी मौके पर पहुंचे और कृषि कानूनों का विरोध करते हुए सरकार से रद्द करने की मांग की। उन्होंने आंदोलन को अपना पूरा समर्थन देने का भी भरोसा दिलाया। इस दौरान उन्होंने राकेश टिकैत से मुलाकात करते हुए आंदोलन को मजबूती से जारी रखने का आग्रह किया। उल्लेखनीय है कि सुबह 9:00 बजे से ही किसानों की भीड़ दिखना शुरू हो गया था। 11:00 बजे तक अच्छी खासी भीड़ कृषि उपज मंडी प्रांगण में लग गई थी और देखते ही देखते किसानों से लवरेज हो गया। जिला प्रशासन ने के तमाम शीर्षस्थ अधिकारी अलर्ट दिखे। नवापारा शहर से लेकर राजिम शहर के चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल की तैनाती की गई थी वह कभी ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करते तो कभी मंडी स्थल तक जाने का मार्ग भी बताते। तकरीबन 400 पुलिस जवानों की तैनाती की गई थी। पार्किंग के लिए मेला ग्राउंड तथा सर्कस मैदान निर्धारित दोनों स्थल वाहनों से खचाखच भर गया था इनके अलावा कॉलेज स्टेडियम, पेट्रोल पंप के सामने आदि जगहों पर वाहनों का रेला लगा हुआ था वाहनों से ही आकलन किया जा रहा था कि भेड़ जमकर है। शहर में पहली बार हुए किसान महापंचायत मैं पंजाब हरियाणा के किसानों के भी अच्छी खासी भीड़ रही। इनको देख कर एक तरह से यह छत्तीसगढ़ से ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर का किसान महापंचायत हुआ है।
” संतोष कुमार सोनकर की रिपोर्ट “