एक महीना में भी आत्मानंद स्कूल में कक्षाएं शुरू नहीं राजिम आत्मानंद स्कूल के छात्र छात्राओं का भविष्य अधर में लटका
“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम। शहर के एकमात्र आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय खुल तो जरूर गया है एडमिशन की प्रक्रिया भी कंप्लीट हो गई है परंतु पिछले एक महीने से आजकल कक्षा लगने का हिल हवाला ही दिया जा रहा है नतीजा छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में लटक गया है। सबसे ज्यादा दिक्कत बोर्ड एग्जाम वालों की है उन्हें तो इनकी तैयारी में ही सुबह शाम रात कोई भी समय लगे रहना पड़ता हैं। बताना होगा कि शहर के आत्मानंद विद्यालय में जुलाई के 26 तारीख से छात्र-छात्राएं जिस स्कूल में अध्ययनरत थे वहां से स्थानांतरण प्रमाण पत्र ले आए थे तब से लेकर आज तक कक्षा लगने के इंतजार में घर में बैठे हुए और भविष्य को दांव पर लगा दिए हैं। जिम्मेदार शीघ्र कहते हुए पूरे महीने गुजार दिए। बावजूद इसके अभी तक भी कोई गारंटी नहीं है कि कक्षा कब लगेगी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश शासन ने गरियाबंद जिले के राजिम में स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय खोलने की अनुमति के तहत बच्चों का एडमिशन लाटरी पद्धति से हुआ। जिनका चयन सूची में नाम आ गया वह बड़े प्रसन्न थे कि अब हम आत्मानंद विद्यालय में पढ़ाई करेंगे। परंतु उनकी खुशी अभी तक धरी की धरी रह गई है और देखते ही देखते समय तेजी के साथ दौड़ रहा है परंतु पढ़ाई ठहर गया है। पहले तो 26 से लेकर 30 जुलाई तक दस्तावेज जमा करने की अंतिम तिथि थी बाद में जिला शिक्षा अधिकारी के कहने पर उन्हें 8 अगस्त तक बढ़ा दी गई। यह तिथि भी बीत गया। बच्चों में उत्साह था कि 8 अगस्त के बाद कक्षा प्रारंभ हो जाएगी लेकिन कक्षा लगने की बात तो दूर कोई एक्टिविटीज यहां नहीं दिखी। बाद में 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस से पहले कक्षा लगने की चर्चा जोर शोर से चल रही थी। देखते ही देखते यह तिथि भी बीत गया। उसके बाद 20 अगस्त तक कक्षा लगने के इंतजार में बच्चे अपने घरों में ही जैसे तैसे पढ़ाई कर ही रहे थे और अब महीने गुजरने वाले हैं परंतु अभी तक कक्षा का अता पता नहीं है।बच्चे मोबाइल और कार्टून में गुजार रहे समयकक्षा नहीं लगने के कारण बच्चे परेशान हैं पढ़ाई को लेकर चिंतित है। कक्षा नहीं लगने के कारण कुछ पढ़ने की तमन्ना तो हो रही है परंतु कुछ नहीं कर पा रहे हैं। तब घर में बैठे-बैठे बोर तो जरूर हो रहे हैं ऐसे में समय व्यतीत करने के लिए मोबाइल और कार्टून में अपना समय गुजार रहे हैं। इससे इन छात्र छात्राओं को नुकसान तो हो रही है लेकिन क्या करें जिले के जिम्मेदार ही अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं कर रहे हैं जिनका खामियाजा छात्र छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है। जानकारों का कहना है कि यहां कक्षा संचालित की जा सकती है इसके लिए जिले में पहले से पांच अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय खुल चुके हैं वहां से कुछ टीचरों को बुलाया जा सकता है इनके साथ ही प्रशिक्षु बीएड शिक्षक भी है उनसे सेवाएं ली जा सकती है और इस तरह से एक अच्छा खासा शिक्षकों की व्यवस्था हो सकती है।फूट सकता है कभी भी पालकों का गुस्साअपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर पालक बहुत चिंतित है वह प्रतिदिन स्कूलों में आकर उपस्थित शिक्षकों से चर्चा जरूर कर रहे हैं लेकिन उन्हें कक्षाएं कब से लगेगी इसकी जानकारियां ठीक ढंग से नहीं मिल पा रही है और वह निराश होकर जा रहे हैं। बच्चे रोज अपने पालकों से कब से कक्षा लगेगी करके पूछ रहे हैं परंतु पालक बता नहीं पा रहे हैं। अभी तक पूरे एक महीना पूर्ण हो चुका है और कक्षा का अता पता नहीं है। पालक गुस्से में है कभी भी इनके सब्र का बांध टूट सकता है। सबसे बड़ी सोचनीय तथ्य यह है कि विद्यालय के छात्र छात्राओं को अभी तक पुस्तक तक मुहैया नहीं कराई गई है। बिना पुस्तक के वह आत्मानंद विद्यालय की पढ़ाई कैसे करें यहां भी चिंता का कारण बनी हुई है। आखिरकार स्कूल शिक्षा विभाग हाथ में हाथ धरे क्यों बैठा है। लोगों की समझ में नहीं आ रही है। कुछ पालकों का कहना है यदि कक्षा प्रारंभ नहीं करा सकते तो अफसरों को क्लियर कर देना चाहिए। बच्चों का भविष्य क्यों खराब कर रहे हैं। महिने के शुरुआती दौर में जानकारी मिली थी कि जिले के आत्मानंद विद्यालय के लिए 35 शिक्षकों की संविदा आधार पर भर्ती की जा रही है जिनमें से 20 शिक्षक राजिम विद्यालय के लिए है तथा 15 शिक्षक अन्य जगह खुले आत्मानंद विद्यालय के लिए है। अब तक इनका भी पता नहीं चल रहा है।कोर्स से पिछड़े छात्र-छात्राएंजिले के मात्र एक राजिम आत्मानंद विद्यालय को छोड़कर बाकी पांच जिनमें फिंगेश्वर, गरियाबंद, मैनपुर, छुरा, देवभोग सभी स्कूलों में शानदार पढ़ाई चल रही हैं। पढ़ाई का टेस्ट भी हो रहा है और बच्चे आगे बढ़ रहे हैं लेकिन इस स्कूल में अभी तक कक्षाएं शुरू नहीं हुआ है कोर्स के पढ़ाई तो आगे बढ़ रहे है परंतु छात्र-छात्राएं जिस स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे और जिस दिन से टीसी लिये हैं उस दिन के बाद से जहां पर थे वहीं पर ठहरे हुए हैं। यह सप्लीमेंट्री कैसे पूरा होगा। आखिरकार इस तरह से एक ही जिले के होने के बावजूद रूखा व्यवहार किसलिए। इस आत्मानंद विद्यालय की व्यवस्था तो शीघ्र हो जानी चाहिए थी परंतु जिम्मेदार की उदासीनता चिंता में डाल दिया है। दूसरी ओर जनप्रतिनिधि भी चुपचाप बैठे हुए हैं उन्हें बच्चों के भविष्य का तनिक भी चिंता नहीं है। कक्षा नहीं लगने के कारण लोग तरह-तरह के सवाल उठा रहे हैं।