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दीपावली मात्र एक हफ्ते दूर पर बाजार में अभी भी उदासी

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संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम। दीपावली का त्यौहार मात्र एक सप्ताह बचा हुआ है यानी 23 अक्टूबर को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा। उससे पहले पुष्य नक्षत्र में बड़ी संख्या में खरीदारी होती है और वैसे भी इनकी तैयारियां दशहरा के बाद शुरू हो जाती है। यह बात अलग है की घरों की साफ-सफाई के साथ ही लिपाई पुताई का कार्य द्रुतगति से जारी है लेकिन खरीदारी करने के लिए दुकानों में अपेक्षाकृत भीड़ कम है जिसका मुख्य कारण धान की कटाई बिछड़ना बताया जाता है। लोगों का कहना है कि लगातार हो रही बारिश के कारण कटाई नहीं हो पाई है और वैसे भी छत्तीसगढ़ सरकार ने 1 नवंबर से ही धान खरीदी का तिथि तय किया है उसके बाद से ही किसानों का धान खरीदा जाएगा। अभी इन किसानों के पास पैसे नहीं है जिनके कारण जिस ढंग से उन्हें खरीदारी करनी चाहिए वह नहीं कर पा रहे हैं। अलबत्ता राजीव न्याय योजना बोनस का पैसा अभी तक नहीं मिला है। बेसब्री से इंतजार है तो वही किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का रुपया भी नहीं आया है जिनके कारण किसानों के जेब में पैसा नहीं है किसान चिंता में है। दीपावली का त्यौहार इस बार किस तरह से मनाएंगे क्योंकि बच्चों के लिए नए कपड़े तथा खूब तैयारियां करनी पड़ती है। इन सारी स्थिति परिस्थिति को देखते हुए इनकी उदासी बाजारों में दिखने लगी है। कपड़ा दुकान, गाड़ी शोरूम, हार्डवेयर, पेंट दुकान मैं भी कहीं भीड़ नहीं देखी जा रही है वैसे बता दे कि कार का पंडित सुंदरलाल शर्मा चौक के महासमुंद मार्ग एवं गरियाबंद मार्ग में व्यापार कारोबार के लिए बड़ी संख्या में दुकानें हैं। सुबह से लेकर शाम तक पूरा मार्केट सुना सा लगता है। शायद सोमवार से बाजारों में रौनक का आ सकती है। दुकानदार स्टॉक मंगा कर ग्राहकों के इंतजार में बैठे हुए हैं।
सुआ नृत्य प्रारंभ
छत्तीसगढ़ की लोक कला एवं लोक संस्कृति को प्रगाढ़ करते हुए दीपावली के पूर्व सुआ नृत्य की परंपरा सदियों से चली आ रही है इस बार भी बड़ी संख्या में महिलाएं एवं बच्चियां सुआ नृत्य कर रही है घरों के अलावा दुकानों में भी सुआ नृत्य की अनोखी छाप छोड़ रही है। सुआ नृत्य के माध्यम से लोक पर्व की आहट लग जाती है वैसे अभी स्कूलों में छुट्टी नहीं हुई है इसके कारण स्कूली बच्चे अभी स्कूल में ही व्यस्त है। महिलाएं सुआ नृत्य के लिए हाथ में चुटकी तथा पात्र पर सुआ की प्रतिकृति लेकर घूम रही है बदले में लोग उन्हें चावल दाल रूपए पैसे भेंट भी कर रहे हैं।
महिलाएं व्यस्त हैं घर की सफाई में
महिलाएं ज्यादातर अपने घरों की सफाई में व्यस्त है भास्कर मिट्टी के घरों को प्लेन करने के लिए मिट्टी से ही उन्हें एक किया जा रहा है तथा पक्का मकान मैं दीवाल पेंटिंग कर रहे हैं।
आमापारा के सड़क किनारे कि लोग नहीं कर रहे हैं दीवारों की पुताई
शहर के आमापारा में सड़क निर्माणाधीन है पिछले दो सालों से मात्र निर्माण ही हो रहे हैं जिसके कारण गाड़ियां चलने से ही धूल उड़ती है। धूल से सड़क किनारे के घरों के दीवाल रच गए हैं इन लोगों ने बताया कि हम लोग इस बार दीवाल की पुताई नहीं कर रहे हैं यदि सफाई कर भी लें तो एक ही दिन में जस का तस हो जाएगा हालांकि अंदरूनी घरों पर पुताई हो रही है।

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