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शारीरिक कमी के बावजूद अपनी हुनर से अलग पहचान बना रही है गुरबारी

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रायपुर। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक पारंपरिक खेलों के प्रतिभावान खिलाड़ियों को एक अवसर प्रदान कर रहा है उनके अंदर छुपी हुई प्रतिभा को बाहर लाने का। इसके जरिए हर उम्र के प्रतिभागी अपने पूरे जोश के साथ इन खेलों में भाग ले रहे है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों के प्रति एक अलग महौल देखने को मिल रहा है। कई खिलाड़ी अपनी शारीरिक कमियों और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने पूरे दमखम के साथ ओलंपिक में भाग ले रहे हैं और अपने आप को साबित भी कर रहे हैं। ऐसी ही एक कहानी है बस्तर केे बकावंड ब्लाक के ग्राम सरगीपाल की रहने वाली गुरबारी की। उसकी बाएं हाथ की हथेली नहीं है, लेकिन बावजूद उन्होंने राजीव युवा मितान क्लब स्तर पर कई खेलों में भाग लिया और सामूहिक खेल कबड्डी और खो-खो में जीत भी दर्ज की। आदिवासी बहुल क्षेत्र के छोटे से गांव सरगीपाल में रहने वाली गुरबारी का कहना है कि वो अपने एक हाथ से ही सब काम कर सकती हैं, जो एक सामान्य व्यक्ति कर सकता है। उसने कहा कि खेल में भाग लेने के लिए शारीरिक क्षमता तो जरूरी है ही, लेकिन उससे ज्यादा जरूरी है हौसलों का मजबूत होना। मजबूत हौसले ही मुझे हिम्मत और आत्मविश्वास देते हैं, जिससे मैं कोई भी काम कर सकती हूं। उसने बताया कि इस आयोजन में उसने लंगड़ी दौड़, पिट्ठुल, 100 मीटर दौड़, कबड्डी, खो-खो और कुर्सी दौड़ में भाग लिया। ‘छत्तीसगढ़िया ओलंपिक’ के बारे में बात करते हुए गुरबारी कहती हैं कि ‘छत्तीसगढ़िया ओलंपिक’ सरकार की एक अच्छी पहल है जिसकी वजह से हम जैसी घरेलू महिलाओं को एक मौका मिला है। उसने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा की वह इस बात से काफी खुश है कि उसे आगे भी खेलने का अवसर मिलेगा।

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