The Popatlal

सच्ची खबर देंगे पोपटलाल

Chhattisgarh

निर्माण सामग्री महंगे होने से आशियाना बनाना हुआ मुश्किल

Spread the love

“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम। निर्माण सामग्री लगातार महंगे होते जा रहे हैं इससे आशियाना बनाना मुश्किल हो गया है लोग या तो फिर जमीन को बेच रहे हैं या फिर बैंकों से लोन लेकर मकान निर्माण कर रहे हैं इससे आर्थिक स्थिति और पतली होती जा रही है। बताना होगा कि आज से 5 साल पहले इन सामग्रियों के वर्तमान कीमत से आधे से भी कम थे परंतु आज इस कदर बढ़ा है कि कीमत सुनते ही लोग अपने जेब को टटोलना शुरू कर देते हैं। सन 2017 में सरिया की कीमत ₹3500 प्रति क्विंटल थे 2022 में 7800 रुपया प्रति क्विंटल हो गए हैं। बताया गया कि 6 माह पहले मात्र 6200 रुपया थे। इनकी कीमत कभी भी बढ़ जाती है। इसी तरह सीमेंट 2017 में ₹220 प्रति बोरी मिल जाते थे परंतु वर्तमान 2022 में ₹325 हो गए हैं पुट्टी की कीमत प्रति 40 किलोग्राम ₹400 थे जो आज बढ़कर ₹900 हो गए हैं। मकान निर्माण में ईंट से ही पूरे घर बनता है इनका भाव आसमान छुआ है। 5 साल पहले एक ईंट डेढ़ ₹2 तक में मिल जाते थे। आज इनकी कीमत ₹4 हो गई है। गिट्टी के ट्रैक्टर ट्राली पहले ₹2000 थी अब 4000 से भी बढ़ गई है। क्षेत्र में नदी होने के कारण रेत के दाम में थोड़ी सी नरमी है। यहां मात्र ट्रांसपोर्टिंग किराया एवं रॉयल्टी मिलाकर प्रति हाईवा ₹2500 में मिल जाते हैं जबकि यहां से राजधानी रायपुर जाने पर इनकी किराया सहित एक हाईवा रेत की कीमत 13000 से भी अधिक है बताया गया कि बरसात में तो कीमत खड़े-खड़े बढ़ जाती है। राजिम क्षेत्र के रेट खदानों से ना सिर्फ रायपुर बल्कि दुर्ग भिलाई तथा अन्य शहरों में भी सप्लाई की जाती है दूरी के अनुसार इनकी कीमत बढ़ती जाती है। टाइल्स, वायर, दरवाजा, खिड़की, सैनिटरी पाइप इत्यादि मकान निर्माण में आने वाले सामग्रियों की कीमत दुगुने से ज्यादा हो गए हैं। नहीं बढ़े हैं तो मात्र मजदूरों की कीमत। हमने काम कर रहे कुली से बात की तो उन्होंने बताया कि ₹200 रोजी में वह काम कर रहे हैं इसी तरह से रेजा की मजदूरी दर ₹180 बताया गया। मिस्त्री की रोजी 270 से लेकर ₹300 तक बताया गया। यह सभी मजदूर तपती धूप में हार्ड वर्क करते हैं बावजूद इसके मजदूरी दर कम है और इतनी ही पैसे से उन्हें अपने परिवार का पालन पोषण व गुजर-बसर करना पड़ता है। चिंता की बात यह है कि इन 5 सालों में सामग्रियों की कीमत दुगुने से भी ज्यादा हो गए और काम करने वाले लोगों की इनकम वही के वही है ऐसे में वह क्या करें। आज से 4 साल पहले प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कुछ सहायता मिल जाते थे इससे लोग प्रसन्न थे परंतु अब वह भी नहीं मिल पा रहा है और तो और ऊपर से आने वाले आवास योजना लगभग गांव में बंद ही हो गई है। गरीब आदमी मकान निर्माण करने की सिर्फ सपने देख सकते हैं हकीकत के लिए उन्हें अनेक अग्निपरीक्षा से गुजर ना पड़ेगा। कहने का सीधा अर्थ है कि या तो उन्हें लोन लेना पड़ेगा या फिर जमीन बेचना पड़ेगा। कुछ लोगों से बात की जिनमें चौबेबांधा के अनिल जांगड़े ने बताया कि मेरा घर टूटा फूटा हुआ है मैं खुद प्रधानमंत्री आवास योजना से लाभ लेने के लिए इंतजार कर रहा हूं परंतु अभी तक मेरा नाम सर्वे सूची में तो आ गया है। किंतु क्रम नहीं आया है। बरसात में खपरैल के घर होने के कारण जगह जगह से पानी गिरता है जिससे दिन रात दोनों गुजारना मुश्किल हो गया है। अब इन्हें इस बरसात की चिंता सता रही है कि आने वाला समय कैसे गुजरेगा। इसी तरह से जितेंद्र, संतोष, यशवंत, बुधन बाई, हुमन, खगेश्वर जैसे अनेक लोग प्रधानमंत्री आवास की ओर टकटकी लगाए हुए हैं ताकि उन्हें कुछ आर्थिक सहायता मिल जाए। चर्चा के दौरान उपस्थित शहर के कुछ लोगों ने यह भी कहा कि मकान निर्माण सामग्रियों की कीमत रूस और यूक्रेन युद्ध का बहाना बनाकर लगातार बढ़ा रहे हैं तो फिर सीमेंट तो अपने देश प्रदेश में ही बनता है उनकी कीमत क्यों बढ़ रही है। तरह-तरह की बातें उभर कर सामने आई। कुछ भी हो सामग्रियों के बढ़ती कीमत ने आशियाना निर्माण को मुश्किल में डाल दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *