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भलपहरी में खदान के कारण फैल रही बीमारी, मर रहे मवेशी, फसल को भी नुकसान

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“दीपक ठाकुर की रिपोर्ट”

कवर्धा।बोड़ला ब्लाक के भलपहरी स्थित आशा मिनरल्स गिट्‌टी क्रेशर संचालक द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियम कायदों को ताक पर रखकर पत्थर का कारोबार किया जा रहा है। जिसमें नियमानुसार परिसर में वृक्षारोपण तो कराना दूर अब तक इन्होंने धूल उड़ने से रोकने के लिए न तो मशीनों पर सीट लगाई है और न ही वाटर स्प्रिंकलर। ऐसे में रोजाना बड़ी तादात में क्रेशरों से निकलने वाली धूल हवा में घुलकर मजदूरों सहित गांव में रहने वाले लोगों की सेहत को खतरा बन रही है।जबकि ग्रामीणों ने इसका विरोध भी कर चुके है। गांव में बच्चे बीमार हो रहे है तो वही मवेशियों की दम घुटने से मौत हो रही है। कल भलपहरी के ग्रामीण खदान को बन्द कराने को मांग को लेकर कलेक्ट्रेट का घेराव कर दिए। ग्रामीणों के बताए अनुसार वहां एक भी मशीन पर वाटर स्प्रिंकलर लगा नहीं है और न ही सड़को पर पानी का छिड़काव करते है। नतीजा चारों तरफ धूल उड़ रही थी। इसके अलावा पठार पर हर तरफ गहरी खाई और कई एकड़ जमीन खुदी पड़ी हुई है।*धूल से मर रहे मवेशी, गांव की फसलें हो रही बर्बाद*ग्रामीण ने बताया कि क्रेशर मशीनों से थोड़ी ही दूरी पर उनका खेत है। यहां से उड़ने वाली धूल के कारण हर साल उनकी फसल का नुकसान तो होता ही है साथ ही मवेशी भी मर जाते हैं। वहीं गांव के कली बाई , संतोषी, मुस्कान, योगेश ने बताया कि क्रेशर संचालकों की मनमानी के चलते ग्रामीणों में श्वास संबंधी बीमारियां तो फैल ही रही है, वहीं बच्चों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है।क्रेशर खदान का पट्टा रद्द करना ही बेहतरभलपहरी के क्रेशर खदान संचालक की मनमानी की शिकायत है पहली दफा नही है इससे पहले भी इसकी शिकायत हो चुकी है। क्रेशर खदानों को परमिशन देने से पहले गाँव के पंचायत से भी सहमति लेनी पड़ती है, लेकिन पूरा गांव इस खदान को बन्द करने की मांग कर चुके है। इससे पहले तो ग्रामीणों ने खदान को बन्द कराने आंदोलन भी कर चुके है, पर प्रशासन कोई ध्यान नही दिया। लेकिन अब लगातार शिकायत को देखते हुए खदान को तत्काल बंद करने आदेश जारी कर देना चाहिए।

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