51 सालों बाद भी शहर के कुछ वार्डों का विकास शहर की तरह नहीं हो पाया,जाने पूरी खबर

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THEPOPATLAL नगर पालिका जांजगीर नैला के गठन के 51 सालों बाद भी शहर के कुछ वार्डों का विकास शहर की तरह नहीं हो पाया है। आज भी इन वार्डों में गांव जैसा माहौल है। वार्ड नंबर 1 व 2 के लोग अभी भी ग्रामीण परिवेश में जिंदगी काट रहे हैं। सालों बाद भी उन्हें मूलभूत सुविधाओं के लिए भटकना पड़ रहा है। चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधि केवल उन्हें वोट बैंक समझते हैं।अविभाजित मध्यप्रदेश में 1 नवम्बर 70 को जांजगीर व नैला ग्राम पंचायत को मिलाकर नगर पालिका परिषद जांजगीर नैला का गठन किया। 51 साल बाद भी जिले के कई वार्ड ग्रामीण परिवेश अपनी जिंदगी जी रहे हैं। समय के साथ ही नगर पालिका जांजगीर नैला का दायरा भी बढ़ते जा रहे हैं, मगर अब भी अधिकांश वार्डों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। अब तक के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने वार्डों की समस्याओं के समाधान व मूलभूत जरूरताें की पूर्ति के लिए कोई विशेष प्रयास ही नहीं किया। ये दोनों वार्ड रेलवे स्टेशन के उस पार होने से भी उपेक्षित हो गए हैं। नगरीय प्रशासन द्वारा हर साल वार्डों में जरूरत के हिसाब से काम कराने के लिए पार्षदों को 3 लाख रुपए दिए जाते हैं। इसे ही बुनियादी जरूरतों में खर्च करते तो भी सभी नहीं तो कुछ समस्याओं का समाधान तो हो ही जाता। अंधोसंरचना मद या वित्त आयोग से मिलने वाली राशि के भरोसे विकास का ढिढोंरा पीट रहे हैं।

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