गणतंत्र के 75 वर्ष बाद भी प्राचीन नगरी राजिम जिला नहीं बन पाया,देशभर के प्रमुख तीर्थ स्थल जिला मुख्यालय है

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“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम । बुधवार को देशभर में 26 जनवरी के अवसर पर 75 वां गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा। जिला मुख्यालय में प्रदेश के मंत्री या फिर ओहदा प्राप्त राजनेता ध्वजारोहण करेंगे। कदमताल होगा और परेड की सलामी ली जायेगी। बैंड बाजे की धुन देशभक्ति से ओतप्रोत करेंगे।ऐसा मौका राजिम शहर को आज तक नहीं मिल पाया है। जबकि यह इतिहास के पन्नों पर प्राचीन नगरी माना जाता है। कींवदंति का सहारा ले तो सतयुग में राजा रत्नाकर के द्वारा यज्ञ करने की जानकारी मिलती है। त्रेता युग में वनवास काल के दौरान राम, लक्ष्मण एवं सीता द्वारा पैदल चलते हुए लोमस ऋषि से मिलने के लिए उनके आश्रम त्रिवेणी संगम राजिम आने के बात डॉ. मन्नूलाल यदु अपने शोध ग्रंथ से स्पष्ट रूप से लिखे हुए हैं। द्वापर युग में मंदिर के जीर्णोद्धार तथा कलयुग के सातवीं आठवीं शताब्दी में नरेश विलासतुंग देव द्वारा मंदिर को भव्य आकार देने जैसी जानकारी शिलालेख से पता चलता है। इस नगरी को हरि और हर की भूमि कहा जाता है इसलिए बड़ी संख्या में बारहो माह अस्थि विसर्जन, मुंडन संस्कार, दर्शन, पूजन, स्नान दान आदि के लिए देश-विदेश से श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है। देशभर में जितने भी बड़े तीर्थ नगरी है वह वर्तमान में जिला मुख्यालय बन चुके हैं। जैसे प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन, काशी, कांची, गया, मथुरा, वृंदावन, रामेश्वर, अयोध्या आदि। दुर्भाग्य ही कहा जाए इतने प्राचीन नगरी होने के बाद भी आज तक राजिम जिला के रूप में अस्तित्व में नहीं आया है। यह त्रिवेणी संगम के तट पर स्थित है। प्रदेश का प्रसिद्ध राजिम माघी पुन्नी मेला लगता है। इनके अलावा राजनीतिक दृष्टिकोण से भी राजिम का अपना एक पहचान है। राजिम विधानसभा ने अविभाजित मध्यप्रदेश को तीन बार मुख्यमंत्री दिया है। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद प्रदेश का प्रथम पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री राजिम विधानसभा क्षेत्र से ही बना। इनके अलावा लगातार सांसद और विधायक क्षेत्र से बनते जा रहे हैं और राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। अभी तक किसी राजनेताओं ने इस नगरी को जिला के रूप में प्रमोट नहीं किया है। हालाकि जनता कब से मांग कर रहे हैं कि राजिम को जिला बनाया जाए। छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आने से पहले अन्य कुछ जिला बने उस समय राजिम को जिला बनाने की मांग जोर शोर से उठी थी परंतु इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया। अकेले संत कवि पवन दीवान इस बात को रखते रहे कि देश के सभी तीर्थ नगरी जिला बनाए गए हैं इसलिए राजिम को जिला बनाया जाए। करीब सन् 2002- 03 में प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी का नवापारा में आगमन हुआ था उस समय भी राजिम और नवापारा को मिलाकर जिला बनाने की मांग उठी थी तब उन्होंने भरोसा दिलाया था कि अगला जब भी जिला बनेगा राजिम और नवापारा को मिलाकर अस्तित्व में लाया जाएगा। छत्तीसगढ़ राज्य बने हुए 22 साल हो गए है। इस दरमियान 16 से लेकर अब 32 जिला हो गए हैं लेकिन अभी तक राजिम का क्रम नहीं आया है। क्या पता इसी तरह से 32 से 36 भी हो जाएगा परंतु राजिम मात्र इंतजार ही करता रहेगा। राजिम नवापारा तथा आसपास के क्षेत्र के लोग राजिम को जिला बनाने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं यहां के तथाकथित राजनेता की उदासीनता आज भी बनी हुई है। मुखर होकर शीर्ष नेताओं के पास जाकर अपनी मांग नहीं रख पा रहे हैं। नतीजा राजिम का विकास रुका हुआ है। उल्लेखनीय है कि राजिम और नयापारा दोनों शहर को मिला दिया जाए तो कम से कम 80,000 की जनसंख्या को कवर करती है। जिस तरह से राजिम संगम को धमतरी, रायपुर एवं गरियाबंद जिला टच करती है उसी तरह से तीनों जिला से कुछ हिस्सा लेकर राजिम को राजस्व जिला घोषित किया जा सकता है। बता देना जरूरी है कि राजिम खुद तहसील मुख्यालय है इसी तरह से नवापारा भी तहसील मुख्यालय है। लोगों को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से उम्मीद है। कांग्रेस सरकार ने राजिम को भविष्य में जिला बनाने की बात कही थी उसे भूपेश बघेल पूर्ण करें और शीघ्र जिला बनाकर यहां के लाखों जनता की उम्मीद पर खरा उतरें।

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