औने पौने दाम में धान बेचने से किसानों ने किया इंकार, मंडी में बोली बंद कर किया एमएसपी की मांग
राजिम । एक ओर जहां छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मार्कफेड के माध्यम से 1 दिसम्बर को न्यूनतम समर्थन मूल्य में धान खरीदी शुरू हो चुकी है। धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य मोटा 1940 रु प्रति क्विंटल और पतला 1960 रु प्रति क्विंटल निर्धारित है । वही कृषि उपज मंडी में 1000रु प्रति क्विंटल की दर से बोली शुरू की गई लेकिन जो धान शुक्रवार को 1570 रु प्रति क्विंटल तक बिकी थी वही शनिवार को 1370 रू प्रति क्विंटल तक बोली लगी तो किसानों ने एकमत होकर कृषि उपज मंडी राजिम में अपना उपज बेचने से इनकार कर दिया।
धान बेचने आये किसान बिष्णु राम साहू पीपरछेड़ी, रामभरोसा साहू, जय कुमार साहू, उत्तम साहू, आनन्द राम ढीमर किरवई , खेलावन बेलटुकरी, सूरज साहू, सदानंद चन्द्राकर, कोमा, देवबालक निषाद दमकाडीह, बुधारुराम साहू किरवई, जोहत राम साहू शिवनाथ ध्रुव पक्तियां, चम्पू साहू रावड आदि ने कहा कि सरकार ने मंडी टैक्स में 5 प्रतिशत की वृद्धि किया है कहकर व्यापारियों ने पिछले दिनों की तुलना में प्रति क्विंटल 200 रुपये से 250 रुपये कम पर बोली लगाई जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता इसलिए हमने अपना धान बेचने से मना कर दिया है । किसानों की मांग है कि मंडी में भी न्यूनतम समर्थन मूल्य के बराबर अथवा उसके आसपास की दाम मिलने पर भी संतुष्ट हो सकते हैं लेकिन औने पौने दाम पर उपज बेचना मंजूर नहीं है।
कृषि उपज मंडी अधिनियम की धारा 36 (3) का पालन हो:- तेजराम विद्रोही
कृषि उपज मंडी राजिम में सरना धान बेचने आये तेजराम विद्रोही ने कहा कि कृषि उपज मंडी में खुली बोली के माध्यम से किसानों के उपज की खरीदी होती है लेकिन बोली के लिए आधार मूल्य निर्धारित नहीं होने से उपज का सही दाम नहीं मिल पाता है। इसके लिए सरकार को चाहिए कि कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 की धारा 36 (3) का पालन सुनिश्चित करे। जिसमे कहा गया है कि जिस भी फसल का समर्थन कीमत तय किया गया है उससे कम पर बोली नहीं लगाई जाएगी।
व्यापारियों को लगने वाले मंडी टैक्स का खामियाजा किसानों को भुगतना न पड़े इसका ख्याल सरकार को रखनी चाहिए। पहले 2 प्रतिशत जो टैक्स था उसे 3 प्रतिशत बढ़ाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है जिससे किसानों का उपज का दाम 5 प्रतिशत तक कम हो गई है। एक तरफ पेट्रोल डीजल, खाद , बीज दवाई आदि कृषि लागत का दाम दिन ब दिन बढ़ रही है तो दूसरी ओर किसानों के उपज का दाम कम कर दिया जाना किसानों के साथ सरकार द्वारा भद्दा मजाक और शोषण है।