14 सौ साल में पहली बार अब श्रद्धालु बरसात के मौसम में भी कर पाएंगे कुलेश्वरनाथ के दर्शन
”संतोष सोनकर”
राजिम । नदी में पानी आते ही श्रद्धालुगण अब सीधे कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर प्रांगण लक्ष्मण झूला से होकर पहुंच रहे है। जानकारी के आधार पर मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में हुआ है तब से लेकर आज तक अर्थात 14 सौ साल पूरे बरसात काल में श्रद्धालुगण महादेव के दर्शन नहीं कर पा रहे थे। जून लगते ही नदी का जलस्तर बढ़ जाता है और उसके बाद सितंबर तक बाढ़ बना रहता है। अक्टूबर में कुछ कम होती है नवंबर तक बमुश्किल श्रद्धालु मंदिर तक पहुंच पाते थे। यानी बरसात काल में विश्व के प्रसिद्ध पंचमुखी कुलेश्वरनाथ महादेव के दर्शन नहीं कर पाते थे परंतु छत्तीसगढ़ शासन की खोज एवं दूरदर्शिता के चलते उन्होंने एक बड़ी राशि लक्ष्मण झूला के लिए खर्चे की और सन् 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह सस्पेंशन ब्रिज का भूमि पूजन किया। इसे बनने में ही इसे 5 साल का समय लगा। सन् 2022 में 16 मार्च को महाशिवरात्रि के अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोकार्पण कर जनता के लिए सुपुर्द कर दिया तब से लेकर इस लक्ष्मण झूला को देखने के लिए देश भर से हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन आ रहे हैं। पहले तो वह देखकर अभिभूत हो जाते हैं और अपने आप को रोक नहीं पाते तथा परिवार सहित लक्ष्मण झूला पर चलते हुए मंदिर पहुंचते हैं। मंदिर पहुंचे श्रद्धालु खुशी खुशी भोलेनाथ के दर्शन करते हैं। मौके पर छिंदवाड़ा मध्यप्रदेश से पहुंचे शर्मा परिवार ने बताया कि वह पहली बार राजिम धाम दर्शन करने के लिए संगम के बीच में स्थित महादेव के मंदिर पहुंचे हैं। दर्शन कर हम बहुत प्रसन्न हो गए परंतु लक्ष्मण झूला को देखकर हमारे बच्चे अत्यंत खुश हुए। सबसे पहले संगम नदी में स्नान की उनके पश्चात भगवान राजीवलोचन का दर्शन से मन पवित्र हो गया यह सच में देवभूमि है। दुर्ग के सोनकर फैमिली ने बताया कि हम लोग कई बार राजिम मेला आए हैं परंतु इस बार लक्ष्मण झूला का नाम सुनकर इसमें चढ़ने के लिए ही आए हैं। लक्ष्मण झूला का विराट स्वरूप देखकर हमें अच्छा लगा। इससे संगम की सुंदरता पर चार चांद लग गई है। नवापारा राजिम तथा आसपास के सैकड़ों गांव के लोग हजारों की संख्या में प्रतिदिन शाम को उपस्थित हो रहे हैं और महादेव की आरती में सम्मिलित भी हो रहे हैं। उपस्थित पुजारी ने बताया कि पहले आरती के समय श्रद्धालुओं की संख्या कम रहता था परंतु लक्ष्मण झूला से लोगों का आना जाना शुरू हुआ है तब से लेकर शाम के आरती में श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ रहती है। यहां से सीधे आरती का अलौकिक दृश्य लोग देखते हैं। डमरू की डम डम आवाज एवं घंटियों की झंकार तथा आरती की ज्योति श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। गरियाबंद, धमतरी एवं रायपुर जिला से बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति से पुरा महादेव प्रांगण प्रतिदिन गुलजार हैं। खास तौर से सोमवार को संख्या और बढ़ जाती है अभी सावन महीना में शिव भक्तों का रेला लगेगा। यहां पर लगातार चार एनीकेट हो गए हैं नवागांव एनीकट, संगम एनीकट, रावड़ एनीकट एवं एक और एनीकट बनकर तैयार है। सभी एनीकट में गर्मी के समय पानी भरा रहेगा तो क्षेत्र में कभी भी जलस्तर नहीं गिरेगा।
लाइट को रोशनी से जगमगा उठता है लक्ष्मण झूला
करीब 35 करोड़ की लागत से बने इस लक्ष्मण झूला में लाइट लगाई गई है शाम को जलते ही रंग बिरंगे सतरंगी लाइटों की रोशनी से लक्ष्मण झूला की आभा निखर जाती है। दूर से इनकी सुंदरता देखते ही बनती है वही नीचे पानी में भी इनके प्रतिबिंब देखते ही बनती है।
लोमस ऋषि आश्रम पहुंचने में नहीं लगाना पड़ेगा चक्कर
बरसात काल में लोमस ऋषि आश्रम पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 4 से 5 किलोमीटर की दूरी तक चक्कर लगाना पड़ता था राजिम के मंदिरों के दर्शन करने के बाद लोमस ऋषि आश्रम जाने के लिए या तो उन्हें नवापारा से होकर आश्रम पहुंचना पड़ता था या फिर चौबेबांधा पुल से होकर जाना पड़ता था परंतु अब लक्ष्मण झूला के बन जाने से सीधे लोमस ऋषि आश्रम पहुंच रहे हैं।
शिवलिंग का निर्माण माता सीता ने किया
किवदंती है कि वनवास काल के दौरान रामचरित्र मानस के नायक राम एवं नायिका सीता तथा भाई लक्ष्मण पैदल चलते हुए लोमश ऋषि से मिलने त्रिवेणी संगम पहुंचे थे उन्होंने कमलक्षेत्र में रुक कर चौमासा व्यतीत किया। इस दौरान यहां उपस्थित आसुरी शक्तियों का समूल नाश किया तथा क्षेत्र में सद्भाव का वातावरण निर्मित किया। इस दौरान जगत जननी माता सीता त्रिवेणी संगम में स्नान के पश्चात अपने कुल के आराध्य देव महादेव की पूजा अर्चना करने के लिए नदी की रेत को इकट्ठा कर शिवलिंग का निर्माण किया तथा जल डालकर जलाभिषेक किया। उसी दिन से इस शिवलिंग का नाम कुलेश्वर नाथ महादेव पड़ गया। बताना जरूरी है रामचंद्र ने रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना किया तो माता सीता ने राजिम में कुलेश्वर नाथ महादेव की स्थापना की जानकारी सर्वविदित है। इन्हें पंचमुखी महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इनका दर्शन विश्व के गिने-चुने स्थानों पर होती है उनमें से राजिम विख्यात है।
मंदिर के महामंडप में उत्कीर्ण है शिलालेख
कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर के महा मंडप पर शिलालेख उत्कीर्ण है जिससे छत्तीसगढ़ में कल चूरियों के शासन की जानकारी मिलती है। मंदिर में चढ़ने के लिए उत्तर दक्षिण एवं पूर्व दिशा में सिढ़ी बनी हुई है। नदी की रेत से 17 फुट ऊंची जगती पर मंदिर का निर्माण किया गया है इसमें एक बड़ा सा पीपल का वृक्ष है जिसे 600 वर्ष पुराना बताया जाता है।