गुरु मनुष्य का पथ प्रदर्शक होता है: पंडित विनोद शर्मा
”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम । शहर के डोभापारा में श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह के चौथे दिन प्रवचनकर्ता पंडित विनोद शर्मा ने कहा कि जीवन में सच्चे गुरु का मिलना पुण्य का प्रभाव है। इनके सानिध्य में आने से जीवन की दशा और दिशा दोनों बदल जाती है वह हमारे सच्चे पथ प्रदर्शक हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा के गुरु अनेक हो सकते हैं परंतु दीक्षा के गुरु सिर्फ एक होते हैं। शिक्षा जहां से मिले उसे ग्रहण कर लेना चाहिए इसके लिए छोटे बड़े नहीं देखना चाहिए। भगवान दत्तात्रेय ने 24 गुरु बनाएं। यहां तक कि उन्होंने भृंगी कीट को भी गुरु बनाएं। समुद्र मंथन प्रसंग पर कहा कि भगवान विष्णु के कहने पर देवता और दानव दोनों एक हो गए तथा समुद्र का मंथन किया। मंथन करने के पश्चात उसमें 14 प्रकार के रत्न निकले। जिनमें उच्चैश्रवा, ऐरावत, कौस्तुभ मणि, कामधेनु, कल्पवृक्ष, लक्ष्मी, रंभा, पारिजात, वारुणी, शंख, धनवंतरी, अमृत, चंद्रमा निकले जिसे एक दूसरे में बांट लिया गया लेकिन वैसे ही विष निकला सभी ने अपना हाथ खड़ा कर दिया तब सृष्टि की रक्षा के लिए भोलेनाथ उपस्थित होकर हलाहल विष को अपने कंठ में स्थान प्रदान किया और इस तरह से उनका एक और नाम नीलकंठेश्वर महादेव पड़ गया। भोलेनाथ सचमुच में भोले हैं उन्हें स्मरण करने से ही वह अपने भक्तों के ऊपर कृपा बरसाते हैं। पंडित विनोद शर्मा ने आगे कहा कि मनुष्य को अपने जीवन काल में सत्य रूपी आभूषण धारण करना चाहिए। गलत शब्दों का उपयोग हमेशा नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं। आजकल मोबाइल में सबसे ज्यादा झूठ बोला जा रहा है। अक्सर देखा जाता है। आदमी रहता कहीं और है और जब फोन आ जाती है तो बताता कुछ और है। इस झूठ बोलने से छोटे बच्चों में गलत प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने पर्यावरण के महत्व पर फोकस करते हुए कहा कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं और पर्यावरण को स्वच्छ बनाएं। इस मौके पर गायक भूपेंद्र सोनकर ने अनेक धार्मिक भजन प्रस्तुत किए। जिसे सुनकर श्रोतागण ताली बजाकर झूमने लगे। परीक्षित के रूप में जगत निर्मलकर, सीता निर्मलकर, जिनेंद्र यादव, नागेश्वरी यादव है। बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित होकर कथा रस का पान किया।