दुख के बाद सुख का आना निश्चित है: पंडित देवेंद्र तिवारी
पांडुका । अज्ञानता दुख का कारण है। दुख और सुख जीवन के दो पहलू है जिस तरह से दिन और रात होते हैं ठीक उसी तरह से सुख दुख आते जाते रहते हैं। रात के बाद सुबह जरूर आती है ठीक उसी तरह से दुख के बाद सुख आना निश्चित है। भूखे को भोजन खिलाना तथा गौ माता गुड़ खिलाना बहुत पुन्य माना गया है। उक्त बातें कुरूद में चल रहे श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह के छठवें दिन भगवताचार्य पंडित देवेंद्र तिवारी लोहारसी ने कही। उन्होंने आगे कहा कि शिशुपाल क्रोध का प्रतीक है। श्रीकृष्ण ने उनकी मां से वादा किया था कि शिशुपाल के सौ गलती मेरे द्वारा माफ कर दिया जाएगा परंतु एक सभा में शिशुपाल ने कृष्ण को लगातार अपशब्द कहते गए और इसी तरह से 100 गलतियां पूरी होने के बाद कृष्ण ने चक्र सुदर्शन से उनका वध कर दिया। एक समय की बात है सनकादिक ऋषि स्वर्ग आ जा सकते थे उस समय द्वारपाल जय और विजय थे। उन्होंने सनकादिक ऋषि को आगे जाने से रोक दिया। तब क्रोधित होकर रिसीवर उन्हें श्राप दिया कि जाओ तुम दोनों तीन जन्म तक लगातार राक्षस योनि को प्राप्त करो। तब दोनों ने हाथ जोड़कर उनसे उद्धार का मार्ग पूछने लगा उन्होंने कहा कि पहले जन्म में हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष के रूप में धरती में जन्म लोगे उसके बाद रावण और कुंभकरण पश्चात शिशुपाल और बंकभद्र के रूप में जन्म होगा। तीनों ही बार श्रीहरि द्वारा तुम्हारा वध किया जाएगा और तुम्हें पूर्वरूप मिल जाएगा। पंडित तिवारी ने आगे कहा कि मित्रता कृष्णा और सुदामा की जैसी होनी चाहिए। छत्तीसगढ़ में मितानी परंपरा आज भी प्रचलित है। महाप्रसाद, गंगाजल, जंवारा जैसे शब्दों से संबंधित किया जाता है। यह कृष्ण सुदामा, राम और सुग्रीव का प्रतीक है। उन्होंने आगे कहा कि मित्र के हर सुख दुख में काम आना चाहिए। सुदामा के घर बहुत ही गरीबी आ गई थी वाहन दरिद्रता से उबर नहीं पा रहा था उनकी पत्नी सुशीला एक दिन भिक्षा मांगकर लाए और उन्हें सुदामा को देते हुए कृष्ण के पास जाने की बात कही तब उन्होंने कहा कि वह द्वारकाधीश है इतने बड़े राजा मुझसे कैसे मिलेंगे। पत्नी सुशीला ने कहा कि संकट के समय मित्र को याद करने में संकट टल जाते हैं आप चिंता मत करो और तांदुल लेकर चले जाओ सुदामा चिंता कर रहे थे लेकिन कृष्ण वेश बदलकर उन्हें मार्ग दिखाते गए और इस तरह से कृष्ण और सुदामा की मिलन हो गई तथा उनके घर की दरिद्रता दूर हो गया। ईश्वर को पाने के लिए धन दौलत की आवश्यकता नहीं है बल्कि श्रद्धा एवं विश्वास ही प्राप्त करने का सबसे बड़ा मार्ग है। उन्होंने आगे कहा कि यह जीवन बहुत ही कीमति है इनका सदुपयोग कीजिए मेहनत करते रहिए सफलता जरूर मिलेगी। गायक धर्मेंद्र यादव संतु साहू अजय ध्रुव तेज कुमार के द्वारा धार्मिक भजन प्रस्तुत की गई जिसे सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए और झूमने लगे। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रोता कान उपस्थित थे आसपास के गांव के लोगों की खासी भीड़ रही और लोग भगवत कथारस का पान करते रहे जिसमें प्रमुख रुप से होरी लाल साहू, यशवंत साहू, कृपा राम साहू, डोमार साहू, पदुम साहू, हेमलाल साहू, बिसन दीवान, कवि एवं साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर, खिलेंद्र सोनकर आदि उपस्थित थे।