दो क्विंटल सांखला से महामाया मंदिर में होगा हवन,अष्टमी पर दुर्गा पंडाल एवं देवी मंदिरों में होगी हवन पूजन
”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम । कमल क्षेत्र के आराध्य देवी मां महामाया मंदिर में इस बार अष्टमी पर्व पर हवन का अलौकिक दृश्य देखने को मिलेगा। प्रति नवरात्र पर्व में महाअष्टमी को हवन पूजन किया जाता है। इस बार हवन पूजन के लिए दो क्विंटल सांखला बनाए गए हैं तथा 40 किलो हलवा का प्रसाद वितरण किया जाएगा। मां महामाया शीतला प्रबंध समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न धीवर ने जानकारी देते हुए बताया कि दोपहर 2:00 बजे से हवन की तैयारी शुरू हो जाएगी और उसके बाद हवन किया जाएगा।भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा ना हो समिति इसका पूरा ख्याल रख रही है। दर्शन के साथ ही प्रसाद वितरण तथा सेवा मंडली के द्वारा माता सेवा गायन से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है। उल्लेखनीय है कि नवरात्र के प्रथम दिन से ही बड़ी संख्या में भीड़ मां महामाया मंदिर में लग गई है। सुबह से लेकर देर रात तक श्रद्धालु दर्शन पूजन में ही लगे हैं। रविवार को सप्तमी के अवसर पर भीड़ आती रही जाती रही। कभी तो एकदम भीड़ हो जाती। इस तरह से मां महामाया के दरबार में श्रद्धालु नारियल, कमल पुष्प तथा श्रृंगार के सामग्री इत्यादि समर्पित कर रहे हैं। इसी तरह से मां महामाया मंदिर से तकरीबन 200 गज की दूरी पर स्थित पुरानी हटरी में चंडी माता का के मंदिर में भी ज्योति कलश जलाएं गए हैं यहां भी हवन किया जाएगा। चौबेबांधा मार्ग पर सती मंदिर में 31 ज्योति कलश प्रचलित किए गए हैं यहां भी हवन की विशेष तैयारी चल रही है। सोमेश्वर नाथ स्थित काली मंदिर, त्रिवेणी संगम स्थित दुर्गा मंदिर सहित दुर्गा पंडालों में बड़ी संख्या में हवन पूजन किया जाएगा तथा सुबह से लेकर देर शाम तक स्वाहा की गूंज होगी। रविवार को छुट्टी का दिन होने के कारण देवी मंदिरों तथा दुर्गा पंडालों में श्रद्धालु पूजन अर्चन के लिए पहुंचते रहे। यहां साधना और भक्ति के अलग-अलग रंग देखने को मिले। दर्शन के लिए पहुंचे जागेश्वर, झुमुकलाल, दीनबंधु, छोटूराम, हीरामन, जगन्नाथ, संतोष कुमार ने बताया कि वह प्रतिवर्ष नवरात्र के दोनों पर्व पर मां महामाया मंदिर दर्शन के लिए आते हैं यहां आने से उन्हें अपार शांति तथा मनोकामना की पूर्ति होती है। इसी तरह से श्रद्धालु हर्षिता, रामति, पुष्पा, दिव्या, डाली, रामकली इत्यादि महिलाओं ने कहा कि मां महामाया सब पर कृपा करती है आज दर्शन करके वह धन्य हो गई। लोग मंदिर परिसर में ही महामाया माता की जय कारा लगाते रहे।