संगम समिति एवं गायत्री ट्रस्ट द्वारा आयोजित होली हुड़दंग कवियों ने दी बेबाक प्रस्तुति

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“संतोष सोनकर जर्नलिस्ट”

राजिम । स्थानीय गायत्री मंदिर सभागार में संगम सेवा समिति एवं गायत्री परिवार ट्रस्ट के संयुक्त तत्वाधान में होली हुड़दंग के अंतर्गत हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद चंदूलाल साहू ने मां सरस्वती की छायाचित्र पर दीप प्रज्वलित कर किया। तत्पश्चात उपस्थित शहर के नामचीन कवियों का शाल ओढ़ाकर सम्मान किया गया। शायर जितेंद्र सुकुमार साहिर ने होली पर शेरो-शायरी सुनाते हुए कहा कि मशवरा ले पर अजनबी से नहीं, दोस्ती रखना हर किसी से नहीं, माना के आज होली है लेकिन, रंगों से खेलें जिंदगी से नहीं। उन्होंने कश्मीर फाइल्स फिल्म पर दिखाये गये हालात को ग़ज़ल की शक्ल में उतारा प्रस्तुत है कुछ अंश- नफ़रतों की आग में जलने लगा है शहर मेरा,हादसों से इन दिनों डरने लगा है शहर मेरा, मजहबी झंडों ने तस्वीरें बदल डाली यहाॅं की, दर्द की आगोश में पलने लगा है शहर मेरा, सुनकर सभी भावुक हो गये। ओज के कवि एवं गीतकार टीकमचंद सेन ने होली के मायने बताते हुए रचनाएं पढ़कर कवि सम्मेलन को बुलंदी प्रदान की और कहा कि प्रज्ञा पुत्रों ने केसरिया ओढ़ा, बहनों ने पहनी चोली है, महाकाल के हम हो जाए, इसी का नाम होली है। हास्य कवि संतोष कुमार सोनकर मंडल अनेक टुकड़िया दी तथा लंबे समय तक गुदगुदाते रहे। उन्होंने छत्तीसगढ़ी में माहौल बना दिया। छत्तीसगढ़ी भाषा की हिमाकत करते हुए कहा कि नावा दिन नावा बेरा, नावा से हमर राज, सिधवा इहाॅं के मनखे, मया के होत हे बरसात। धुर्रा माटी सोना होगे,सोनु के खुलेगे भाग,हीरा कस टुरी चमके,टुरा खेलय फाग के अलावा कॉलेज के पुराने दिनों को याद कर कविताएं सुनाएं। चुटकुलेकार गोकुल सेन ने संचालन करते हुए अनेक चुटकुले प्रस्तुत की तथा अपनी श्रेष्ठ व्यंग्य रचना देते हुए कहा कि उच्च शिखर पर बैठा मानव, नीच करम की झोली है, बिकता हो ईमान जिस देश में, दीपावली भी होली है। कवि मूलचंद सचदेव ने धार्मिक कविता पढ़ते हुए माहौल को भक्तिमय बना दिया। उनकी कविता देखिए-गुरुवर के चरणों में तन मन धन सब अर्पित करता हूं आज मन मेरा हुलस रहा है, श्रद्धा सुमन समर्पित करता हूं।
होली जीवन में उल्लास लेकर आता है: चंदूलाल
इस अवसर पर मुख्य अतिथि चंदूलाल साहू ने कहा कि होली जीवन में उल्लास लेकर आता है यह प्रेम एवं सौहार्द का प्रतीक है। कवियों ने होली के महत्व को अपनी कविता के माध्यम से शानदार उकेरा है ऐसे अवसर पर कवि सम्मेलन ऊंचाइयां प्रदान करने का काम करती है। राजिम साहित्य के क्षेत्र में हमेशा समृद्ध रहा है। पंडित सुंदरलाल शर्मा से लेकर पवन दीवान, कृष्णा रंजन जैसे अनेक कवि, लेखकों ने यहां का मान बढ़ाया है। वर्तमान में शहर के कवि लगातार लिखकर क्षेत्र का नाम रोशन कर रहे हैं। कवि बड़ी से बड़ी बातें कवि सम्मेलन के माध्यम से बेबाक प्रस्तुत कर देते हैं। होली एकता का संदेश देने का काम करती है।
पवन दीवान के राजिम जिला का सपना कब होंगे पूरे
मौके पर उपस्थित पंडित परिषद के संरक्षक भागवताचार्य पंडित अर्जुन नयन तिवारी संत कवि पवन दीवान को याद कर रोमांचित हो गए और उन्होंने उनके तीन सपने को रेखांकित करते हुए कहा कि दीवान जी के प्रमुख तीन सपने थे जिनमें पहला छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हो चुका है दूसरा माता कौशल्या की भूमि को विकसित करने का काम लगातार हो रहा है तीसरा राजिम को जिला बनाने की थी जो अभी तक अधूरा है इस पर नवापारा से पहुंचे लोगों ने राजिम जिला निर्माण के लिए संघर्ष समिति बनाने पर बल दिया। संगम सेवा समिति के अध्यक्ष विक्रम मेघवानी एवं सचिव रामकुमार साहू ने कहा कि संगम सेवा गैर राजनीतिक समिति है यह स्वच्छता के अलावा नगर विकास के लिए काम कर रही है। रचनात्मक कार्यक्रम कर एक नया उदाहरण प्रस्तुत कर रही है।
नगाड़े की धुन पर झूमते रहे लोग
कार्यक्रम की शुरुआत में अधिवक्ता महेश यादव, डॉ महेंद्र साहू, लाला साहू, श्रवण सिंह ठाकुर, आशीष पांडे, तुला राम साहू,रामकुमार देवांगन, किशन देवांगन, जितेंद्र देवांगन, कपिल पेंदारिया, मोहन साहू आदि ने होली गीत प्रस्तुत किये तथा नगाड़े की धुन पर झूमते रहे। इस होली मिलन समारोह को यादगार बना दिया। मौके पर प्रमुख रूप से सुभाष शर्मा, पवन गुप्ता, जितेंद्र सोनकर, टीकम साहू, श्याम अठवानी, अशोक नागवानी, वीरू नगवानी, पुरुषोत्तम दीवान, भुवन सोनकर, मुन्ना सोनकर, चरण साहू, ताराचंद साहू इत्यादि बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

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