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Chhattisgarh

संसद में मुख्यमंत्री समय पर पहुंच जाते हैं तो यह घटना घटित ही नहीं होती—बृजमोहन अग्रवाल

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रायपुर ।

रायपुर । भाजपा विधायक पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कल रायपुर में आयोजित धर्म संसद में हुए घटना को लेकर पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि गांधी जी देश व दुनिया के लिए सम्माननीय है। धर्म संसद में मुख्यमंत्री समारोह में समय पर पहुंच जाते तो यह घटना ही घटित नहीं होती।
अग्रवाल ने कहा कि कल धर्म संसद में संतों का व्याख्यान व सम्मान का दूसरा व अंतिम सत्र 3:00 से 5:00 बजे तक था। मैं स्वयं भी घटना के पहले तक व्याख्यान के दौरान वहां उपस्थित था। मुख्यमंत्री के धर्म संसद स्थल में आने की सूचनाएं मुख्यमंत्री के सुरक्षा में लगे पुलिस के अधिकारियों व कुछ लोगों द्वारा दी गई। इसके बाद कार्यक्रम के समापन के समय को आगे बढ़ाया गया संत कालीचरण महाराज का एक बार पाठ, उद्बोधन मंच पर हो गया था, क्योंकि कार्यक्रम को मुख्यमंत्री के आने की सूचना के चलते बढ़ाया गया इसलिए संत कालीचरण महाराज को पुनः उद्बोधन के लिए बुलाया गया इस दौरान ही यह व्यक्तव्य आया था। अगर मुख्यमंत्री समय पर वहां पहुंच जाते तो यह घटना ही घटित नहीं होती। अग्रवाल ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में संत कालीचरण महाराज का वक्तव्य उनका निजी व व्यक्तिगत व्यक्त्व है। अग्रवाल ने धर्म संसद में उपस्थित जनता को संबोधित करते हुए कहा कि सनातनधर्मियों को एक मंच पर एकत्रित करने हेतु व रास्ता दिखाने के लिए संत समाज का यह धर्म संसद सनातन धर्म को मानने वालों के लिए एक नया संदेश लेकर आया है। इस धर्म संसद के माध्यम से संत महात्माओं द्वारा लिया गया निर्णय, दिशा-निर्देश, सनातनधर्मियों के लिए मार्गदर्शक होगा। धर्म संसद व संत समाज को छत्तीसगढ़ में हो रहे व्यापक धर्मांतरण के दिशा में भी ध्यान देना चाहिए, चर्चा करनी चाहिए व विद्यमियो द्वारा किए जा रहे धर्मांतरण कैसा रुके इस दिशा में भी प्रकाश डालना चाहिए। अग्रवाल ने कहा कि हमारे युवा आजकल धर्म शास्त्रों के बारे में, अपने सनातन धर्म के बारे में व संस्कारों को लेकर अलग-थलग पड़ रहे हैं। मोबाइल, इंटरनेट, इंस्टाग्राम, फेसबुक व सोशल मीडिया के इस युग में संतो को भी कुछ ऐसे कार्यक्रम एवं योजनाएं बनानी चाहिए जिससे हमारे युवाओं को सनातन धर्म, हमारे धर्म शास्त्र, संस्कार व संस्कृति के बारे में सरलता से अधिक से अधिक जानकारी मिल सके। संत समाज को इस दिशा में भी आगे आना चाहिए।

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