बिहार में कई नदियों का जल स्तर बढ़ने से गांवों में नदियों का पानी घुसा,लोग गांवों को छोड़ सुरक्षित जगहों पर ले रहे है शरण
बिहार । बिहार एक बार फिर बाढ़ प्रभावित जिलों में बारिश होते ही नदियों का जल स्तर बढ़ गया है,इसकी वजह बाढ़ जैसे हालात हो रहे है। कई गांवों में नदियों का पानी घुसने लगा है। इस वजह से कुछ इलाकों में लोग गांव का घर छोड़ बांधों पर शरण लेने की तैयारी कर रहे हैं।
सीमांचल में नदियों के जलस्तर में उतार चढ़ाव रविवार को भी जारी रहा। कटिहार जिले में 12 घंटे तक घटने के बाद फिर से महानंदा नदी के जल स्तर में वृद्धि होने लगी है। रविवार को महानंदा मे 5 से 7 सेंटीमीटर, गंगा नदी के जलस्तर में 19 सेंटीमीटर तथा कोसी नदी के जलस्तर में 25 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। महानंदा और गंगा नदी में हो रहे कटाव से लोगों मे दहशत है। अधीक्षण अभियंता गोपाल चंद्र मिश्र ने बताया कि नदियों के बढ़ते और घटते जलस्तर के कारण जगह जगह पर कटाव हो रहा है जिसकी निगरानी की जा रही है।
सहरसा और सुपौल जिले में कोसी नदी के जलस्तर रविवार को भी दिनभर जलस्तर के बढ़ने और घटने की रफ्तार जारी रही। रविवार को सुबह 6 बजे कोसी बराज पर 1 लाख 22 हजार 655 क्यूसेक डिस्चार्ज रिकार्ड किया गया जबकि शाम 4 बजे 1 लाख 21 हजार 860 क्यूसेक डिस्चार्ज रिकार्ड किया गया। जो बढ़ने की स्थिति में है। जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता मनोज कुमार रमण ने बताया कि तटबंध पर कोई दबाब नही है।
जलस्तर के बढ़ने और घटने के दोनों स्थिति पर नजर रखी जा रही है। वहीं खगड़िया जिले में कोसी व बागमती नदी उफान पर है । बागमती नदी के जलस्तर में रविवार को 92 सेंटीमीटर तथा बागमती नदी के जलस्तर में 27 सेंटीमीटर की वृद्धि दर्ज की गई। दोनों नदियां फिलहाल खतरे के निशान से नीचे है। इधर अररिया जिले में बारिश नही होने व नेपाल से पानी नहीं छोड़े जाने के कारण जिले होकर बहने वाली कमोवेश सभी नदियों का जलस्तर सामान्य है। हालांकि रविवार को जलनिस्सरण विभाग के अधिकारियों ने नूना नदी से प्रभावित घोड़ा, बाँसबाड़ी और सिंघिया तटबंध का जायजा लिया।
बागमती नदी के जलस्तर में रविवार को तेजी से वृद्धि हुई। इससे लगभग दो फीट पानी बढ़ गया है। बाढ़ की आशंका से विस्थापित परिवार भी अब तेजी से बचाव की तैयारी में जुट गए हैं। बागमती तटबंध पर झोपड़ियों को दुरुस्त कर रहे हैं। उन्हें अंदाजा हो गया है कि जल्द ही तटबंध पर शरण लेनी होगी। नदी के जलस्तर में वृद्धि जारी रही। बागमती तटबंध पर दर्जनों मवेशी खुले आसमान के नीचे रखे गए हैं। पशुचारा और जलावन की किल्लत होने लगी है। मधुबन प्रताप, चैनपुर, बहुआरा, बाड़ा खुर्द, बाड़ा बुजुर्ग समेत एक दर्जन गांवों के विस्थापित परिवार बागमती तटबंध के अंदर कई वर्षो बाढ़ से जुझ रहे है लेकिन शासन—प्रशासन इस क्षेत्र में अब तक लोगों को बाढ़ से राहत दिलाने कोई हल नही निकाल पाया है।