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Chhattisgarh

अंतर्राष्ट्रीय अभिलेखागार सप्ताह का समापन

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रायपुर। राजधानी रायपुर के संचालनालय पुरातत्त्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय, रायपुर में 5 से 9 जून तक आयोजित अंतर्राष्ट्रीय अभिलेखागार सप्ताह का आज समापन हुआ। इसके अंतर्गत महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय रायपुर में छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण अभिलेखों की छायाचित्र प्रदर्शनी लगाई गई थी। समापन समारोह के व्याख्यान कार्यक्रम में आमंत्रित वक्ता के रूप में पुरातत्त्व, संग्रहालय एवं राज्य अभिलेखागार (राजस्थान) के संचालक डॉ. महेन्द्रजी खड़गावत (आई.ए.एस.) और विदर्भ अभिलेखागार नागपुर (महाराष्ट्र) के पुरालेख अधिकारी श्री के.डी. खंदारे उपस्थित थे।पुरातत्त्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय के संचालक श्री विवेक आचार्य ने वक्ताओं का स्वागत किया और अपने उद्बोधन में छत्तीसगढ़ में अभिलेखागार की गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्हांेने कहा कि राज्य स्थापना के बाद विगत 23 वर्षों में छत्तीसगढ़ से संबंधित एवं संधारित किये जाने योग्य सन् 1880 से 1956 तक के ऐतिहासिक दस्तावेजों में से चयन कर अब तक 6 लाख 8 हजार 924 पृष्ठ डिजिटल, हार्ड कापी एवं माइक्रो फिल्म के रूप में अभिलेखागार में लाए गए हैं। जिनका सूचीकरण का कार्य जारी है। डॉ. खड़गावत ने अभिलेखों के डिजिटलीकरण और अभिलेखागार में नवीन तकनीक के उपयोग पर प्रकाश डाला तथा चित्र और वीडियो के माध्यम से बीकानेर स्थित डिजिटल अभिलेखागार के विषय में बताया। वहीं श्री खंदारे ने अभिलेखों के प्रकार, उनके वर्गीकरण, व्यवस्थापन, संधारण और संरक्षण के तरीकों पर विस्तृत जानकारी दी। आर्ट गैलरी में संचालनालय के अभिलेखागार प्रभाग द्वारा चयनित अभिलेखों में सन् 1952 में भारत के विभिन्न विलीनीकृत राज्यों जैसे रायगढ़, सारंगढ़, जशपुर, बस्तर, कांकेर, सरगुजा, नांदगाँव और कवर्धा राज्य के ध्वजों, क्रांतिकुमार भारतीय द्वारा दिये गए वक्तव्य, स्वरचित कविता “वीरों की होली”, महात्मा गांधीजी के छत्तीसगढ़ में आगमन से संबन्धित दस्तावेज़, काशी नगरी प्रचारणी के हीरक जयंती उत्सव पर अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्लजी का सम्मेलन और गोष्ठी के उद्धाटन अवसर पर राष्ट्रभाषा के संबंध में भाषण, राजिम ग्राम पंचायत का गठन 1938-1941 से संबंधित दस्तावेज़ और सन् 1949 में श्री चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य का रायपुर के राजकुमार कालेज में आगमन इत्यादि से संबन्धित लगभग 150 पृष्ठों की प्रदर्शनी लगाई गई थी। इस प्रदर्शनी का बड़ी संख्या में लोगों ने अवलोकन किया।

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