जेन कहेन तेन करेन,गढ़बो नवा छत्तीसगढ़- राजीव शर्मा
जगदलपुर। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तरवासियों को 108 करोड़ रुपए से अधिक के विकास कार्य की सौगात देकर गौरवान्वित किया। बस्तर जिला कांग्रेस कमेटी शहर अध्यक्ष राजीव शर्मा ने बंपर उपहार मिलने पर राज्य के मुख्यमंत्री का हृदय से आभार माना और उनका हृदय की गहराइयों से धन्यवाद व्यक्त किया। राजीव शर्मा ने बताया कि लगभग 20 करोड़ 54 लाख 24 हजार के 17 विकास कार्यों का लोकार्पण और लगभग 87 करोड़ 99 लाख 11 हजार रुपये के 12 विकास कार्यों का शिलान्यास मुख्यमंत्री के हाथों किया गया शर्मा ने अपने उद्बोधन में बताया कि मान। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बस्तर को अनेक सौगात दी कांग्रेस की भूपेश सरकार की बदौलत आज बस्तर में विकास की गंगा बहने लगी चहुँओर विकास की गाथा लिखी जा रही हैं। यह बस्तर का सौभाग्य है कि छत्तीसगढ़ को ऐसा संवेदनशील मुख्यमंत्री मिला जिसकी सोच बस्तर सहित राज्य के प्रति सकारात्मक रही है जिसके चलते बस्तर विकास के नए नए आयाम गढ़ने लगा। शर्मा ने कहा कि इंद्रावती नदी में नए पुल का निर्माण पुराने पुल के समीप प्रस्तावित है इसके निर्माण में करीब 45 करोड़ की लागत आएगी ज्ञात हो कि वर्तमान में निर्मित पुराने पुल का निर्माण अंग्रेजों के समय सन 1939 से 1943 के बीच किया गया था। जगदलपुर को रायपुर से जोड़ने वाला मुख्य मार्ग पहले इसी पुल से होकर गुजरता था। सन 1986-87 में लालबाग आमागुड़ा के आगे इंद्रावती नदी में नया पुल बनने के बाद बड़े वाहनों की आवाजाही नए पुल से हो रही है एक माह पहले तक पुराने पुल का उपयोग राहगीर और दोपहिया वाहनों की आवाजाही के लिए होता रहा है।वर्तमान में इसे पूरी तरह से आवागमन के लिए बंद कर दिया गया है अन्य महत्वपूर्ण बातों में नगरनार स्टील प्लांट प्रभावित क्षेत्र में करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए की लागत से प्रस्तावित आईटीआई भवन के लिए भूमि पूजन किया गया। 20 करोड़ 54 लाख 24 हजार की लागत से निर्मित 17 विकास कार्य स्कूल, आश्रम, छात्रावास, सड़क आदि का लोकार्पण और करीब 88 करोड़ की लागत से स्वीकृत 12 विकास कार्य के लिए शिलान्यास किया गया। इस राज्य का सौभाग्य है कि उन्हें एक ऐसा सुलझा हुआ सकारात्मक सोच रखने वाला मुख्यमंत्री मिला जिसने न्यूनतम ढाई साल की अवधि में बस्तर सहित राज्य की बदहाल तस्वीर को बदलने चुनौतियों को स्वीकार कर उसे पूरा करने का बीड़ा उठाया और साकार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
“सुभाष रतनपाल की रिपोर्ट”