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Chhattisgarh

जानिए इस बार रक्षाबंधन कब, पूर्णिमा और भद्राकाल का प्रारंभ एक साथ

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रक्षाबंधन पर्व की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति निर्मित हो गई है। 11 अगस्त को पूर्णिमा तिथि है, लेकिन लगभग पूरे दिन भद्रा का साया रहेगा। इसलिए इस दिन राखी नहीं बांधी जा सकेगी। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन |पूर्णिमा और भद्राकाल का मनाया जाता है। इस साल सावन मास की पूर्णिमा 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर शुरू हो रही है। इसी समय से भद्रा भी लग रही है. जो रात 8 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी। भद्रा समाप्त होने के बाद रात्रि 8 बजकर 54 मिनट से 9 बजकर 49 मिनट तक राखी बांधने का मुहूर्त है। पूर्णिमा तिथि 12 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। चूंकि उदया तिथि में अर्थात सूर्योदय के वक्त जो तिथि होती है, उसे पूरे दिन माना जाता है। इसलिए 12 अगस्त को भी राखी मनाई जा सकती है। शहर के मुख्य मंदिरों के पंडितों तथा ज्योतिषाचायों के अनुसार, अपनी सुविधानुसार दोनों में से किसी भी दिन रक्षाबंधन का पर्व मना सकते हैं, किंतु मद्राकाल में राखी नहीं बांधी जाएंगी। उपरोक्त शंका का समाधान यही है कि 11 तारीख की रात को 8.52 बजे से रक्षाबंधन मना सकते हैं।शनि की बहन हैं भद्रा, इसलिए शुभकार्य नहीं : भद्रा सूर्यदेव की पुत्री और शनि की बहन हैं। शनि की तरह भद्रा भी स्वभाव से थोड़ी कड़क मिजाज थीं। भद्रा के क्रोध को काबू करने के लिए ही ब्रह्माजी ने उन्हें पंचांग में विष्टि करण के रूप में जगह दी। दरअसल, भद्रा देवी एक समय पूरे संसार को अपना निवाला बनाने वाली थीं। इसी वजह से वह सभी कार्यों में बाधा डालने लगीं। इसके बाद उन्हें ब्रह्माजी ने समझाया और उन्हें करणों में 7वे करण विष्टि के रूप में जगह दी। भद्रा तीनों लोकों में विचरण करती रहती हैं। जिस लोक में भदा होती है, उस समय उस लोक में शुभ काम नहीं किया जाता है। भद्राकाल में किए गए काम का परिणाम शुभ नहीं होता है। रक्षाबंधन के दिन भद्रा का पृथ्वी पर वास रहेगा। इसलिए भद्रा के समय रक्षाबंधन का पर्व मनाना शुभ नहीं होगा।

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