The Popatlal

सच्ची खबर देंगे पोपटलाल

Chhattisgarh

अगहन पूर्णिमा में भगवान राजीवलोचन का स्वरूप हुआ मनमोहिनी

Spread the love
“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम । अगहन पूर्णिमा के अवसर पर प्रयाग भूमि त्रिवेणी संगम में श्रद्धालुगण अलसुबह स्नान के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे और स्नान पूजन के साथ ही दीपदान किया तथा भगवान विष्णु का मंदिर राजीवलोचन के दर्शन किए। देश प्रदेश से पहुंचे पर्यटक मंदिरों की उत्कृष्ट कला नक्काशी को देखकर अभिभूत हो गए। बता देना जरूरी है कि यहां के मंदिर सातवीं शताब्दी से लेकर चौधरी शताब्दी के बीच बनाए गए हैं इनमें से भगवान राजीवलोचन का मंदिर की विशालता दूर से ही प्रतीत होती है। ऊंची जगती तल पर मंदिरों के समूह के बीच भगवान विष्णु का मंदिर बना हुआ है तथा पूर्व एवं दक्षिण दिशा में प्रवेश हुआ निर्गमन द्वार है। महामंडप में दो शिलालेख उत्कीर्ण है जिससे छत्तीसगढ़ में कलचुरी शासन की जानकारी मिलती है। यहां होने वाले आरती का दृश्य अत्यंत अलौकिक रहता है सुबह नौ बजे प्रथम आरती होती है। 12:30 बजे दोपहर को दूसरी आरती की जाती है। रात को 7:15 बजे तीसरी और की होती है तथा 8:45 बजे चौथी आरती की जाती है। इस समय भक्त बड़ी संख्या में पहुंचकर आरती के साथ ही भोग प्रसादी ग्रहण करने के लिए उपस्थित होते हैं। पूर्णिमा के मौके पर सत्यनारायण भगवान की कथा पूजा आरती का कार्यक्रम भी अंचल में बड़ी संख्या में हुआ। सत्यनारायण भगवान का स्वरूप श्वेत वर्ण माना गया है इनके कथा मैं छोटी-छोटी अलग-अलग अध्याय में कहानियां बताई गई है इस कथा सुनने का मुख्य आशय मनुष्य को कभी भी झूठा वार्तालाप नहीं करना चाहिए और सच बोलते हुए अपने जीवन व्यतीत करने का संदेश देते हैं। दर्शन के लिए सपरिवार पहुंचे प्रदेश के युवा कवि एवं साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर मंडल ने बताया कि भगवान राजीवलोचन का स्वरूप अत्यंत मनमोहिनी है इनके दर्शन करने के बाद तन मन पवित्र हो गया। प्राचीन कालीन मूर्तियां एवं उत्कृष्ट कला नक्काशी को देखने के बाद ऐसा लगा जैसे हम खुद आठवीं नवमी शताब्दी में आ गए हैं। राजिम के मंदिर हमारे देश की धरोहर है। पहली बार पहुंचे गोकुल सेन, दीपक सेन, संतराम साहू, मनोज देवांगन, हरिशंकर ने बताया कि हम पहली बार धर्म नगरी राजिम पहुंचे हैं यहां के त्रिवेणी संगम में स्नान करने के बाद हमारे शरीर में ताजगी आ गई है। हमने संगम स्नान की बात सुनी थी लेकिन आज खुद स्नान करके अपने आपको धन्य मान रहे हैं। नदियों का स्वच्छ वातावरण हमें काफी प्रभावित किया है। संगम के बीच में स्थित कुलेश्वर नाथ महादेव का मंदिर में विशाल पीपल का वृक्ष अपने आप में उत्कृष्ट उदाहरण है मैं इस नगरी को प्रणाम करता हूं। उल्लेखनीय है कि 16 फरवरी से राजिम माघी पुन्नी मेला प्रारंभ है जो लगातार 15 दिनों तक चलेगा। इस मेले में न सिर्फ प्रदेश भर के लोग बल्कि देश विदेश से भी बड़ी संख्या में दर्शनार्थी पहुंचते हैं। आज भी सुबह से लेकर शाम तक स्कूली बच्चों समेत बड़ी संख्या में लोगों ने पहुंचकर दर्शन पूजन अनुष्ठान किए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *