महापौर हेमा देशमुख ने संत रविदास जयंती पर नगर वासियों को दी शुभकामनाएं और उनको याद कर किया वंदन
राजनांदगांव। संत शिरोमणि गुरु रविदास जयंती पर नगर निगम के महापौर हेमा देशमुख ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारत के महान संत गुरू रविदास (रैदास) का जन्म काशी में माघ पूर्णिमा दिन रविवार को संवत 1433 को हुआ था। रैदास ने साधु-सन्तों की संगति से पर्याप्त व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया था। वे जूते बनाने का काम किया करते थे औऱ ये उनका व्यवसाय था और अपना काम पूरी लगन तथा परिश्रम से करते थे और समय से काम को पूरा करने पर बहुत ध्यान देते थे। रामानन्द के शिष्य बनकर उन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान अर्जित किया। संत रविदास जी ने स्वामी रामानंद जी को कबीर साहेब जी के कहने पर गुरु बनाया था, जबकि उनके वास्तविक आध्यात्मिक गुरु कबीर साहेब जी ही थे। उनकी समयानुपालन की प्रवृति तथा मधुर व्यवहार के कारण उनके सम्पर्क में आने वाले लोग भी बहुत प्रसन्न रहते थे। प्रारम्भ से ही रविदास जी बहुत परोपकारी तथा दयालु थे और दूसरों की सहायता करना उनका स्वभाव बन गया था। साधु-सन्तों की सहायता करने में उनको विशेष आनन्द मिलता था। वे उन्हें प्राय: मूल्य लिये बिना जूते भेंट कर दिया करते थे। अपने व्यवसाय का काम करने के पश्चात् शेष समय ईश्वर-भजन तथा साधु-सन्तों के सत्संग में व्यतीत किया करते थे। अपने दोहे के माध्यम से वह समाज में समरसता का भाव स्थापित करने हमेशा प्रयासरत थे उनके दोहे में स्पष्ट है।
जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात।
रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात॥
मन चंगा तो कठौती में गंगा
तुम कहियत हो जगत गुर स्वामी।
हम कहियत हैं कलयुग के कामी॥
मन ही पूजा मन ही धूप ।
मन ही सेऊँ सहज सरूप॥
नगर निगम की महापौर हेमा सुदेश देशमुख ने महान संत एवं समाज सुधारक संत शिरोमणि रविदास जी की 16 फरवरी जयंती पर उन्हें नमन करते हुऐ संत रविदास जयंती की बधाई देते हुए कहा है कि संत रविदास ने सामाजिक बुराईयों को दूर कर समाज में एकता और भाईचारा स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। संत रविदास जी की जयंती पर जिले वासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।