कार्तिक पूर्णिमा पर संगम में होंगे कल नादिया मड़ई,तीन जिला के अलावा देश भर के श्रद्धालु संगम में लगाएंगे डुबकी

राजिम। देश के प्रसिद्ध धर्म नगरी त्रिवेणी संगम राजिम में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर कल दिन शुक्रवार 19 नवंबर को स्नान दान होम आदि का कृत्य श्रद्धालुगण करेंगे पश्चात अपराह्न 2:00 बजे से मड़ाई मेला का आयोजन होगा जिसमें बड़ी संख्या में लोग मेल मिलाप के साथ ही खरीददारी करेंगे। उल्लेखनीय है कि प्राचीन काल से कार्तिक पूर्णिमा पर यहां भव्य मड़ई मेला का आयोजन राजीव लोचन मंदिर ट्रस्ट कमेटी के द्वारा किया जाता है। संगम के बीच में स्थित विश्व प्रसिद्ध पंचमुखी कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर के प्रांगण में यह मड़ई लगता आ रहा है। इसके बाद से आसपास के क्षेत्रों में मडई का कारवां चल पड़ता है वैसे मातर मोड़ई के साथ ही मडई शुरू होते हैं लेकिन कमलक्षेत्र में कार्तिक पूर्णिमा के बाद मड़ई मेला मनाने का क्रम चालू होता है यह उत्साह एवं मेल मिलाप का त्यौहार है संगम में सुबह से ही दुकान सजना शुरू हो गया है गुपचुप, होटल, मनिहारी सामान, गन्ना, मिठाई, रयचुली, की दुकान अस्थाई रूप से तैयार हो रहे हैं इस लड़ाई में कम से कम 50000 से भी अधिक लोग उपस्थित होकर मजा लेते हैं। श्रद्धालु कल सुबह से ही स्नान दान दर्शन पूजन आदि कृत्य में लगे रहते हैं बताया जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा मे संगम नदी में स्नान करने से पुण्य में बढ़ोतरी होती है। यहां के प्रसिद्ध मंदिरों में महादेव का कुलेश्वर नाथ मंदिर, ब्रह्मज्ञानी लोमस ऋषि का प्राचीन कालीन आश्रम, तट पर स्थित भगवान विष्णु का राजीव लोचन मंदिर, आदिशक्ति मां महामाया मंदिर, दत्तात्रेय मंदिर, बाबा गरीब नाथ, सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर, महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर, भूतेश्वर नाथ महादेव मंदिर, पंचेश्वर नाथ महादेव मंदिर, साक्षी गोपाल मंदिर, वाराहा अवतार मंदिर, बद्रीनारायण मंदिर, वामन अवतार मंदिर, नृसिंह अवतार मंदिर, सूर्य देव मंदिर, राज राजेश्वर नाथ महादेव मंदिर, दान दानेश्वर महादेव मंदिर, राजिम भक्तिन मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर आदि है। जिनके दर्शन पूजन करने के लिए भक्तगण उपस्थित होते हैं। इस नादिया मडई में न सिर्फ धमतरी रायपुर एवं गरियाबंद जिला के लोग उपस्थित होते हैं बल्कि प्रदेश के लगभग सभी 32 जिलों से लोग आते हैं इनके अलावा दीगर प्रदेशों से भी लोग इस मड़ई का लुत्फ उठाते हैं। इस मौके पर कार्तिक माह में सुबह स्नान करने वाले बालक बालिका नदी स्नान कर खीर का प्रसाद बनाते हैं और भोग लगाकर नदी में ही एक साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं तथा पिकनिक आदि के लिए भी लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।