एकादशी पर राजीवलोचन ने धरा मनमोहिनी रूप

राजिम। पापाकुशा एकादशी पर भगवान राजीवलोचन मनमोहिनी रूप धरा। जिनके दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण मंदिर परिसर में उपस्थित होकर पूजन अर्चन करते रहे। इस मौके पर विशेष रुप से महाआरती की गई। घंटियों की झंकार एवं तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। इस दिन भगवान नाम का स्मरण विशेष पुण्य दिलाता है माना जाता है कि इससे पापों का क्षय होता है तथा जीवन में सुख समृद्धि एवं आरोग्यता आती है।दिन भर व्रत धर्म का पालन किया गया तथा व्रतियों द्वारा एकादशी महात्म्य का पठन किया गया। बताया जाता है कि वर्ष भर में 24 एकादशी होती है प्रत्येक माह के दोनों पक्ष में दो एकादशी पड़ता है। पापा कुशा एकादशी को लेकर भक्तों में अपना अलग उत्साह होता है। व्रत का पारण 17 अक्टूबर को सुबह किया जाएगा। भगवान राजीवलोचन का मनमोहिनी दृश्य सभी भक्तों को अपनी और लुभा रहा था। वही भगवान की पंचामृत का प्रसाद पाकर भक्तजन भाव विभोर हो गए। उल्लेखनीय है कि भगवान राजीवलोचन विष्णु का रूप है। प्राचीन कथा अनुसार राजा रत्नाकर के तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु गज ग्रहा का उद्धार करने के तुरंत राजा रत्नाकर के पास प्रकट हुए और उन्हें दो वरदान दिए पहला कमल क्षेत्र में विराजमान होने की तथादूसरा उनके बाद उनकी वंशजों द्वारा पूजा अर्चना तथा सेवा करने की उसी के अनुसार आज भी राजिम में क्षत्रिय पुजारी पूजा अर्चना करते हैं।