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Chhattisgarh

भैरव विदाई के साथ पंचकोशी यात्रा हुआ संपन्न, हवन पूजन में गूंजे स्वाहा स्वाहा

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“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम। गुरुवार को पिछले 12 जनवरी से लगातार पैदल यात्रा कर रहे पंचकोशी यात्री लोमस ऋषि आश्रम प्रांगण पर शांति हवन पूजा यज्ञ पूर्णाहुति का आयोजन संपन्न कराया पश्चात पूजा के बाद भैरव विदाई दी गई। पंचकोशी पीठाधीश्वर सिद्धेश्वरानंद महाराज मंत्र का वाचन किया। स्वाहा स्वाहा के जयघोष पर यज्ञ कुंड में सांखला डाले गए। उनके जलने से खुशबू फैली और लोग भक्ति रस में डूब गए। देवी देवताओं का आह्वान हुआ तथा आहुतियां डालने के लिए यज्ञ कुंड के पास यात्रीगण उमड़ पड़े। गौरी गणेश, नवग्रह, 10 दिग्पाल समेत सभी देवी देवताओं को भोग प्रसादी चढ़ाया गया। खीर पुरी के साथ ही रोठ बनाए गए थे इनका भोग लगा। पिछले 8 दिनों से छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से पहुंचे पंचकोशी यात्री एक साथ रह रहे थे लेकिन आज अपने-अपने घर जाने के लिए जैसे ही तैयारी किए एक दूसरे को देख कर सिसक पड़े। छोड़ने का नाम नहीं ले रहे थे। मीठी मीठी यादें लेकर गए जरूर लेकिन धार्मिक एकता का पाठ जरूर पढ़ा गए। जाने से पहले पंचकोशी धाम की जयकारा लगाते रहे। आज भी सुबह से ही भगवान राजीव लोचन मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, चारों धाम वराह अवतार, नृसिंह अवतार, वामन अवतार, बद्रीनारायण अवतार, गणेश भगवान, सूर्य देव नारायण, महामाया मंदिर, रामचंद्र देवल, बाबा गरीब नाथ, सोमेश्वर नाथ महादेव, लक्ष्मी नारायण मंदिर, राजिम भक्तिन माता मंदिर, राज राजेश्वर नाथ महादेव, दान दानेश्वर नाथ महादेव, भगवान का विराट स्वरूप, रामचंद्र की विशाल प्रतिमा, साक्षी गोपाल, गंगा मैया, यमुना मैया, दुर्गा देवी, अन्नपूर्णा माता, श्याम कार्तिकेय, काली माता, शीतला देवी, नंदी महाराज इत्यादि देवी देवताओं के मंदिरों में जाकर पूजन आराधना की। शिवलिंग में जल डाला गया। पंचमुखी कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर में रखें पात्र में जल डालते ही पाइप द्वारा महादेव को जलाभिषेक होता गया। कई पंचकोशी यात्रीगण कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर के जगती तल पर रात्रि विश्राम के लिए खुले आसमान के नीचे ठहरे रहे। रात में शिव के ऊपर रामायण के माध्यम से कथा प्रस्तुत किया गया जिसमें माता पार्वती एवं भोले शंकर विवाह प्रसंग हुआ। भजनों पर श्रद्धालु झूमते रहे तो कथा को ध्यान से सुना। साल भर में पंचकोशी यात्रियों के आगमन पर पहला अवसर रहा कि रात भर लोग शिव की भक्ति में खो गये। बताना जरूरी है कि पंचकोशी परिक्रमा में सबसे पहले पटेवा स्थित पटेश्वरनाथ महादेव उसके बाद चंपारण स्थित चंपकेश्वरनाथ महादेव, बम्हनी स्थित ब्रह्मनेस्वरनाथ महादेव, फिंगेश्वर के फणीकेश्वरनाथ महादेव, कोपरा स्थित कर्पूरेश्वरनाथ महादेव, लफंदी में औघड़नाथ महादेव, प्रयाग नगरी राजिम में पंचमुखी कुलेश्वरनाथ महादेव तथा राजीवलोचन भगवान का दर्शन किए। प्रतिदिन 15 से 20 किलोमीटर तक अपने रोजमर्रा के सामानों को सिर पर लादकर चलते रहे। इस दौरान पैदल चलने में अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन शिव की भक्ति एवं प्रगाढ़ श्रद्धा विश्वास के चलते यात्रा पूरी की गई। बताया गया कि पंचकोशी यात्रा अलौकिक है पूरी दुनिया में सिर्फ राजिम को ही पंचकोसी परिक्रमा की मान्यता मिली हुई है। जिसके चलते इस धाम को करने के लिए न सिर्फ आसपास के लोग बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ से यात्रीगण श्रद्धा भक्ति में डूबे रहते हैं।

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