चंदा हाथियों के दल का कहर जारी फसल चट करने के बाद जंगल के आस पास स्थित मकानों कर रहे क्षतिग्रस्त ग्रामीणों में दहशत

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“नरेश भीमगज की रिपोर्ट”

कांकेर। चंदा हाथियों का दल एक बार फिर चारामा वन परिक्षेत्र के दो से चार गांवों में तबाही मचा दिया है जिससे वह विभाग व ग्रामीणों की मुश्किलें दिन ब दिन बढ़ती जा रही है वहीं नुकसान के आंकलन में भी इजाफा देखने को मिल रहा है जिससे निपटने के लिए वन विभाग भी तरह तरह कोशिशें कर रही है। वहीं क्षेत्र के ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।हाथी कभी खड़ी फसल तो कभी कच्चे पक्के मकानों को क्षतिग्रस्त कर घर के अंदर रखी सामग्री को भी चट कर रहे हैं।हालांकि अभी तक हाथियों से जिले में जनहानि नहीं हुई है वन विभाग की टीम मुस्तैदी से हाथियों की गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़ पहुँचे चंदा हाथियों के दल में लगभग 24 से 25 की संख्या में हाथी देखे जा रहे है।चंदा हाथी दल वन परिक्षेत्र के महानदी के आस-पास के गांव तुएगहन, पंडरीपानी, जेपरा, तासी,, अकलाडोंगरी, बांधापारा में विचरण कर रहे डुबान क्षेत्र होने के चलते यहाँ इनको पर्याप्त मात्रा में भोजन व पानी मिलने के चलते अब यह इनका पसंदीदा जगह बन गया है जिसके चलते दल यहाँ से जाने का नाम नहीं ले रहा है।हाथी रात होते ही भोजन की तलाश निकलते हैं, दिन में घने जंगल और पहाड़ी की तिलाठी में आराम करते हैं। वर्तमान में यह दल आरएफ 217 व 218 में विचरण करते देखे जा रहे है। ग्राम जेपरा में पांच घरों को क्षतिग्रस्त कर नुकसान पहुंचाने के बाद सुबह ही गांव से निकलकर फिर जंगल की ओर चले गए हैं। घर क्षतिग्रस्त हुए पांच ग्रामीणों में भक्त प्रल्हाद यादव, गौतम राम सिन्हा, लखन वर्मा, भोला राम पटेल है ग्रामीणों ने बताया कि मकानों को क्षतिग्रस्त करने के बाद अंदर में रखे सामग्री को भी हाथियों का यह दल चट कर जाते है।इस संबंध में वन परीक्षेत्र अधिकारी एसआर सिंह ने बताया कि 24 से 25 हाथियों का दल चारामा परिक्षेत्र के महानदी क्षेत्र में विचरण कर रहे है जोकि महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़ में चंदा हाथियों का दल है जोकि पहले भी यहाँ आकर जा चुके है। पिछले दो वर्षों से जिले के कुछ क्षेत्रों में जहाँ इन्हें पानी व फसल पर्याप्त मात्रा में मिलता है वहाँ यह दल डेरा जमा लेते है।

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