मां बाप इस दुनिया में साक्षात ईश्वर है: पंडित कृष्ण कुमार तिवारी

Spread the love
“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम । शहर के पुरानी हटरी चंडी मंदिर प्रांगण पर चल रहे श्रीमद् भागवत महापुराण के पांचवे दिन भागवताचार्य पंडित कृष्ण कुमार तिवारी ने श्रोताओं के बीच कहा कि माता-पिता साक्षात देवी देवता है उसमें ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश तीनों के गुण समाए हुए हैं। जिस तरह से ब्रह्मा सृजन का काम करते हैं तथा विष्णु पालन करता है और महेश गलत काम करने पर दंडित करते हैं ठीक उसी भूमिका में माता-पिता है। किस्मत वाले हैं जिन्हें जन्म से लगातार माता पिता लंबी आयु तक मिलते हैं। जिनके माता है पिता नहीं है उन्हें पिता का दर्द पूछिए तथा जिनके पिता है और माता नहीं है उन्हें मां क्या होती है। भली भांति जानते हैं। माता पिता को ईश्वर ने अपने रूप में भेजा है। प्रतिदिन सुबह उठने के बाद अपनों से बड़ों का प्रणाम करना चाहिए जिस तरह से रामचरित्रमानस में राम सुबह उठने के बाद सीधे पिता दशरथ एवं माता कौशल्या तथा अन्य बड़ों का आदर सहित प्रणाम करते थे। पंडित तिवारी ने आगे कहा कि अपने बच्चों में यह गुण जरूर डाल दीजिए कि वह हर किसी का सम्मान करें। इसके लिए हमें खुद आगे बढ़ना होगा। हम जो दृश्य बच्चों को दिखाएंगे वह वही सीखेगा इसलिए अच्छे कर्म कीजिए आपके बच्चे संस्कारवान अवश्य बनेंगे। मैं यह नहीं कहता कि अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर या फिर अन्य कोई बड़े ओहदा वाले बनाइए। परंतु एक संस्कारवान इंसान जरूर बनाना ताकि वह छोटे बड़े में कभी भेद न करें। इस दुनिया में सबका बराबर का स्थान है ईश्वर ने सबको समान रूप से बनाया है तो फिर अंतर किसलिए। उन्होंने दृष्टांत के माध्यम से बताया कि एक इंजीनियर बेटा अपने मां को वृद्ध आश्रम में छोड़ आया कुछ दिन बीतने के बाद बड़ी जीद करके अपने बेटे को पास बुला लिया और उनसे कहा कि बेटा गर्मी बहुत तेज है यहां एक पंखा लगा देते इस पर बेटा ने तुनकते हुए कहा कि इस उम्र में पंखे का क्या करोगी मां। तब मां ने कहा कि बेटा मैं अपने लिए नहीं कह रहा हूं क्योंकि तुम मुझे इस उम्र में वृद्धाश्रम में छोड़ दिए हो। एक दिन ऐसा भी आएगा तुम भी बूढ़े होगे तब इसी जगह तुम्हें भी रहना पड़ेगा और तुम्हें गर्मी बहुत लगेगी मैं अपने लिए नहीं बल्कि तुम्हारे लिए पंखे की आवश्यकता महसूस कर रही हूं। बच्चे मां बाप से एक ही वस्तु को बार-बार पूछते हैं कि उनका नाम क्या है पिता बार-बार बताता है लेकिन वही जब बूढ़ा हो जाता है और अपने बेटे से पूछता है तो एक ही बार में झल्ला जाता है। मां नन्हे बालक बालिका के लात सहकर भी भोजन कराती है। बिस्तर गिला करने पर उन्हें सुखी कपड़े पर सुलाती है तथा खुद नीले कपड़े में ही सो जाती है मां का अपने बच्चों के प्रति समर्पण की महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता। इसलिए भूलकर भी कभी भी मां-बाप का अनादर ना करें उन्हें हर सुविधा मुहैया कराएं और ईश्वर की समान पूजें। उन्होंने राजा बलि के प्रसंग पर कहा कि उन्होंने स्वर्ग पर अपने अधिपत्य जमाने के लिए गुरु शुक्राचार्य के कहे अनुसार 100 यज्ञ करने के लिए तैयार हो गए लगातार यज्ञ करने से भगवान नारायण को बटुक के रूप में आना पड़ा और वामन वेश में उन्होंने तीन पग में सारी सृष्टि को नाप लिया और इस तरह से राजा बलि का नाम अमर हो गया। कर्म अच्छा हो तो ईश्वर की प्राप्ति अवश्य होती है। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रोता गण उपस्थित थे। तथा धार्मिक भजनों पर लोग ताली बजाकर रसास्वादन कर रहे थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.