बघमार के जंगलों में आज लोगों का जमावड़ा,कंगला मांझी की याद में आयोजित हो रहे कार्यक्रम में करेंगे शिरकत
बालोद । बालोद जिले के डौंडीलोहारा ब्लॉक के बघमार के जंगलों में आज लोगों का जमावड़ा लगा हुआ है। जिन्हें देखने से लगता है कि जैसे बड़ी संख्या में सैलानी आए हुए हैं। हालांकि ये सैलानी नहीं बल्कि सेनानी हैं जो देश के अलग-अलग राज्यों से बालोद आए हैं। दरअसल ये सभी आदिवासी हैं और कंगला मांझी की सेना के सिपाही हैं। इनमें युवा, बुजुर्ग, बच्चे सभी शामिल हैं। ये सभी लोग अपने नेता कंगला मांझी की याद में आयोजित हो रहे कार्यक्रम में शिरकत करने आए हैं।
कंगला मांझी एक क्रांतिकारी नेता थे, जिन्होंने आदिवासियों को सशक्त और एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई। साल 1913 में वह स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े और 1914 में उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई। कांकेर जिले के तेलावट में जन्मे कंगला मांझी राष्ट्रवादी नेता थे। अंग्रेजी शासनकाल में अन्याय से तंग आकर उन्होंने आजाद हिंद फौज की तर्ज पर अपनी सेना का गठन किया था, जिसके सैनिक आजाद हिंद फौज की तरह ही वर्दी पहनते हैं और वर्दी पर स्टार भी लगाते हैं। हालांकि कंगला मांझी की सेना के सैनिकों का रास्ता अहिंसा और शांति वाला है। देशभर में कंगला मांझी की सेना के करीब 2 लाख सैनिक हैं। जो आदिवासियों की रक्षा और उनके अधिकारों के लिए काम करते हैं। कंगला मांझी स्मृति दिवस कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे लोगों ने टेंट, पेड़ों के नीचे कड़कड़ाती ठंड में रात गुजारी। बीती 5 दिसंबर को कंगला मांझी स्मृति कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की राज्यपाल ने भी शिरकत की थी। इस दौरान राज्यपाल ने कंगला मांझी की जमकर तारीफ की और आदिवासियों के उत्थान में उनकी भूमिका की खूब सराहना की।