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पॉवरसिटी मे शरदोत्सव एवं काव्य गोष्ठी का किया गया आयोजन

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“बी एन यादव की रिपोर्ट”

कोरबा। पॉवरसिटी वेल्फेयर सोसायटी के तत्वावधान में प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी शॉपिंग सेंटर के प्रांगण में महापौर राजकिशोर प्रसाद महापौर नगर पालिक निगम कोरबा के मुख्य आतिथ्य एवं लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार डॉ.माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ की अध्यक्षता में शरदोत्सव एवं काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया । विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ शायर यूनुस दनियालपुरी , मेयर काउंसिल सदस्य सुनील पटेल एवं दर्री ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जैन, सुरेश राठौर ,वीर सहाय धनवार एवं सुरेन्द्र सिंह ठाकुर उपस्थित थे। कार्यक्रम के आरंभ में माऋ सरस्वती की पूजा अर्चना और वंदना के पश्चात पॉवरसिटी वेल्फेयर सोसायटी के अध्यक्ष पी.पी.तिवारी, उपाध्यक्ष इक़बाल अहमद, सचिव बी.पी.कैवर्त, उपसचिव देवीप्रसाद साहू , कोषाध्यक्ष के.एस.ठाकुर एवं कार्यकारिणी सदस्य विपीन सिंह तथा योगेश साहू ने अतिथियों एवं आमंत्रित कोरबा जिले के साहित्यकारों का पुष्प गुच्छ व श्रीफल भेंटकर, रोली चंदन से स्वागत किया।

शरदोत्सव को संबोधित करते हुए महापौर राजकिशोर ने कहा कि शरद पूर्णिमा का पौराणिक महत्व है।माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है एवं आकाश से औषधियुक्त अमृत की वर्षा होती है।साथ ही उन्होंने कॉलोनी की विकास में हर संभव मदद करने की घोषणा की। अपने सारगर्भित उद्बोधन में अध्यक्षता कर रहे सोसायटी के संरक्षक डॉ . माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ ने संक्षेप में शरद पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसी मान्यता है कि माता लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसलिए देश के कई हिस्सों में शरद पूर्णिमा को लक्ष्मी पूजन किया जाता है। जब द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ, तब मां लक्ष्मी राधा रूप में अवतरित हुईं। भगवान श्री कृष्ण और राधा की अद्भुत रासलीला का आरंभ भी शरद पूर्णिमा के दिन माना जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कुमार कार्तिकेय का जन्म भी शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसी कारण से इसे कुमार पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस अवसर पर पॉवरसिटी वेल्फेयर सोसायटी के अध्यक्ष पी.पी.तिवारी ने बड़ी संख्या में उपस्थित कॉलोनी वासियों को सोसायटी की योजनाओं से अवगत कराते हुए कहा कि हमारी जो प्राथमिकताएँ हैं उनमें कॉलोनी में विकास को गति देना, बिजली,पानी एवं स्वच्छता बरकरार रखना, धार्मिक एवं सांस्कृतिक उत्सवों को बढ़ावा देना एवं पर्यावरण की सुरक्षा हेतु वृक्षारोपण करना प्रमुख है। कृष्ण कुमार चन्द्रा एवं अंजना सिंह के सफल संचालन में जिले के साहित्यकारों द्वारा विविध विधाओं को रोचक रचनाएँ पढ़ी गईं जिनका लुत्फ़ कालोनीवासियों ने देर रात तक उठाया। शरद पूर्णिमा से संबंधित जिन रचनाकारों ने रचनाएँ प्रस्तुत की उनके कुछ अंश निम्नानुसार हैं –
• गड़ गड़ घन घन शांत हो गये
शारद ऋतु अब आया है।
निर्मल स्वच्छ गगन है शोभित,
मुदित चमन मुस्काया है
-विनोद कुमार सिंह

• गर बन जाऊं मैं कृष्ण बन राधा तुम
तट पर आओगी क्या
मुझे जिस्मों का कोई वास्ता नहीं
सच्चा प्यार अपनी रूह से
मिलवाओगी क्या

  • रमाकांत श्रीवास

• चाँद में और कुछ नहीं ,
चाँदनी की रौशनी है
-पूजा तिवारी

• इस विरहन की अमिट प्रीत वो,
हृदय मिलन की आस सखी री
प्रेमिल मन आह्लाद हुआ अति,
देख सुखद मधुमास सखी री

  • *आशा आज़ाद

• पुन्नी रात में चमचम चमकत,
नाचत हावय चंदा
अँधियारी रतिहा ला छपछप,
काँचत हावय चंदा

  • जीतेन्द्र वर्मा खैरझिटिया

• सोलह कलाओं से सुजज्जित
चाँद मन को भा रहा
सौंदर्य से धरती भरी अरु
भाव कवि बन गा रहा।।
— आशा देशमुख

• आज फिर गुलमोहर पर शबाब आया है
आज फिर चांद पर निखार आया है।
मोहब्बत का असर कहें या
उनके सवरने की अदा
–अंजना सिंह

• लो शरद चांद आया धरती पर आज सनम
निरखे अंबर से हम तारों की माल सनम
– गायत्री शर्मा’प्रीत’

•चाँदनी छिटकी शरद की,
खिड़कियों से आ रही,
मुग्ध है मन,दृष्टि को भी,
आह कितना भा रही

  • गीता विश्वकर्मा

• प्रीत नयी है, सफर नया है
और नया चक्कर मामा
आज नहीं तो कल आयेंगे
हम फिर तेरे घर मामा
– कृष्ण कुमार चन्द्रा

• मौसम मदमस्त हुआ
चन्दा का ज़ोर है
सोलह कलाएँ लिए
आया चितचोर है
डॉ.माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’

काव्य गोष्ठी में कोरबा जिले के जिन साहित्यकारों ने भाग लिया उनमें डॉ.माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’, मो.यूनुस दनियालपुरी,रामचन्द्र राव ,दिलीप अग्रवाल,मुकेश चतुर्वेदी,
कृष्ण कुमार चन्द्रा , इक़बाल अहमद अंजान ,राकेश खरे राकेश ,शिवानंद श्रीवास्तव, जीतेन्द्र खैरझिटिया, विनोद कुमार सिंह,बलराम राठौर, महंत शर्मा हरिभक्त,रमाकांत श्रीवास, दीपक सिंह, गीता विश्वकर्मा , गायत्री शर्मा,रामकली कारे,आशा देशमुख,आशा आज़ाद,अंजना सिंह,,किरण सोनी,पूजा तिवारी, आर.एल.पात्रे एवं बी.पी.कैवर्त का नाम प्रमुख है। कार्यक्रम के अंत में पी.पी. तिवारी ने आभार व्यक्त किया।

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