मया के गठरी लोककला मंच की शानदार प्रस्तुति,दिलीप षडागी के कार्यक्रम में झुमे दर्शक
राजिम। राजिम माघी पुन्नी मेला में चिवरी संकरी से आये हुए मया के गठरी लोक कला मंच के कलाकारों ने मुख्यमंच पर प्रथम दिन छत्तीसगढ़ की महिमा को बखान करते हुए। लोक नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का प्रारंभ गणपति वंदना हे गणपति महाराज से किया गया। छत्तीसगढ़ महतारी की वंदना करते हुए तोला मैं बन्दो दाई…. रिमझिम बरसे बरखा रानी….. ये गाड़ी वाले…. मया के गठरी म बांध के …. जैसे सुमधुर गीत व नृत्य के माध्यम से मनमोहक प्रस्तुति ने लोगों के मन को छु लिया। चर्चा के दौरान कलाकार शिवकुमार ने बताया कि हमारी टीम में कुल 30 कलाकार है, जो कई सालों से छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थालों में जाकर अपने देश की संस्कृति, सभ्यता और संस्कार को आगे बढ़ाने का कार्य कर रही है। इस लोककला मंच का उद्देश्य नई प्रतिभाओं को आगे लाना और उन्हें एक मंच प्रदान करना है। जिससे उनके अंदर छुपे कलाकार को दर्शक पहचान सके। राजिम माघी पुन्नी मेला के इस मुख्यमंच पर प्रस्तुति देकर हमें बहुत ही अच्छा लगा। छत्तीसगढ़ शासन से यही अपेक्षा है कि लगातार कलाकारों का उत्साह बनाये रखे और उन्हें आर्थिक मदद कर देश विदेश में भी छत्तीसगढ़ को समृद्धि बनाने में सहयोग करें। कोरोनाकाल में हमें बहुत ही समस्याओं का सामना करना पड़ा है। फिर भी अपनी कला को हम जीवित रखते हुए लगातार अभ्यास करते है। पहले की अपेक्षा इस मेला महोत्सव की व्यवस्था में बहुत कुछ सुधार हुआ है सभी व्यवस्था अच्छा है। इस मंच के मुख्य गायक कलाकार जीवन साहू, राजेन्द्र साहू ने कार्यक्रम के प्रारंभ से लेकर अंत तक दर्शकों को बांध कर रखा।
दिलीप षडगी के जसगीत और छत्तीसगढ़ी फिल्मी गीत दर्शको को बांधे रखा
सांस्कृतिक कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति देने आए जसगीत सम्राट दिलीप षडगी ने जसगीत और छत्तीसगढ़ी फिल्मी गीत गाकर दर्शको को बांधकर रखा। उनकी प्रथम प्रस्तुति मोर रईपुर के काली माई तोला बंदव वो…..ये जसगीत में दर्शको मां काली का दर्शन का अनुभव प्राप्त हुआ। इसी के साथ रिकार्डिग डांस की प्रस्तुति महोत्सव के विशाल मंच पर बाजा बाजे….. यंे गीत में दिलीप षडगी के सहयेागी कलाकारो द्वारा मंच पर दी गई। इस गीत सुनकर राजिम वासी अपने आप गौरव महसूस करने लगी इसी के साथ अगली प्रस्तुति तारा साहू ने दर्शको को जोश दिलाते हुए दोनो हाथ ल उठा लो…..गाया इसे सुनकर दर्षक भी दोनो हाथ उठाकर झुमने लगेे। फिर दिलीप षडगी अपने चिर परिचित आवाज में दाई ओ दाई….. को गाकर दर्षक को नवरात्रि की दिनो को याद दिला दिया। अगली कड़ी में कोरी कोरी नारियल चढ़े….चैत के महीना आबे…. इन गीतो ने तो दर्शको को समोहित कर अपने स्थान से उठकर दर्शक भी झुमने लगे। इसके बाद छत्तीसगढ़ी फिल्म पर आधारित गीत प्रस्तुत किए। आमा पान की पतरी…. चेंदवा बइगा आदि गानों ने दर्शकों को अंतिम समय तक बांधे रखा। कलाकारों का सम्मान रतीराम साहू, विकास तिवारी एवं अन्य जनप्रतिनिधियों द्वारा किया गया।