शहर में मशरूम की आने से अन्य सब्जियों की मांगो में आई गिरावट, सब्जियों में मशरूम सबसे महंगा

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राजिम । शहर में इन दिनों मशरूम की आवक बढ़ गई है इनके खाने वाले भी कोई कम नहीं हुए हैं लोग बड़े चाव से इन्हें खरीद कर अपने घर ले जा रहे हैं और शौक से इन्हें खा भी रहे हैं। इस मौसम में मशरूम सब्जियों की खांसी मांग होती है। उल्लेखनीय है कि मशरूम इन दिनों सबसे ट्रेडिंग सब्जियों में से एक है देखने में जितना खूबसूरत लगता है उसमें उतने ही पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद है इसमें फाइबर की मात्रा सबसे ज्यादा होती है। विटामिन डी के अलावा एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाया जाता है। मशरूम में चोलीन नामक एक खास पोषक तत्व होता है जो मांसपेशियों की एक्टिविटी और मेमोरी को मजबूत बनाने का काम करता है। खास बात यह है कि इसमें बहुत कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होते हैं जिससे ब्लड शुगर का लेवल कंट्रोल में रहता है। नगर के रायपुर रोड स्थित सब्जी मंडी के सामने गरियाबंद से आई महिला मशरूम की ढेर लगा कर सड़क किनारे ही बैठ गए और देखते ही देखते ₹200 किलो में धड़ल्ले से बिक भी गई। अच्छी बिक्री होने पर महिला खुश नजर आ रही थी लेकिन सब्जी बनाने के लिए झोला भरकर ले जाने वाले लोग भी आज छक्कर खाना खाएंगे। ऐसा विचार कर परिवार के सदस्यों के अनुसार कोई एक पाव तो कोई आधा किलो व अपनी बजट के अनुसार खरीद रहे थे। बताना जरूरी है कि एक सप्ताह पहले थोक सब्जी मंडियों में₹800 किलो में बिका था। तब भी इन्हें खरीदने वाले कोई कम नहीं थे गुरुवार को भी इस सब्जी का वर्चस्व बना हुआ है। जानकारी के मुताबिक ऑफिस में काम करने वाले लोग ज्यादा धूप नहीं ले पाते और उनमें विटामिन डी की कमी होने लगती है ऐसे में मशरूम उनके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इसमें विटामिन डी की मात्रा होता है। बरसात के मौसम में खासतौर से पेड़ या फिर भूढू के आसपास अधिक मात्रा में अक्सर उगाते हैं। चौबेबांधा के किसान खेत देखने के लिए गए तो उन्हें यहां मशरूम देखा और उन्हें बटोर कर घर ले आए तथा आस पास पड़ोस को भी दिए और तकरीबन ढाई किलो बेचने के लिए सब्जी मंडी ले आए उन्हें पंद्रह सौ रुपया की बिक्री मिली। जिससे वह किसान अत्यंत खुश हो गया। ज्ञातव्य हो कि अब मशरूम की खेती भी होती है छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मशरूम खेती के उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित भी किया जाता है। इनका कमरे से लेकर खेत में भी उत्पादन किया जाता है। जानकारी के मुताबिक तीन तरह से मशरूम की खेती कर सकते हैं जिनमें पहला है बटन मशरूम, दूसरा ढ़िगरी मशरूम (आयस्टर मशरूम), तीसरा दूधिया मशरूम (मिल्की)। बताते हैं कि आयस्टर मशरूम की खेती बहुत आसान और सस्ती है इसमें दूसरे मशरूम की तुलना में औषधि गुण भी अधिक होते हैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई जैसे बड़े महानगरों में इनकी बड़ी मांग है। आजकल छोटे शहर व गांव में भी इन्हें बड़ी शौक से पकाकर खाया जाता है। परंतु अन्य सब्जियों के दाम बिल्कुल कम हो गए हैं जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। थोक सब्जी मंडी में भिंडी ₹5 किलो बिके। बरबटी ₹4, करेला ₹7 इसी तरह अन्य सब्जियों की कीमत भी गिरने से किसानों के चेहरे पर मायूसी खाई हुई है। किसानों ने बताया कि सब्जियों को तोड़ने की मजदूरी भी नहीं निकल पा रही है। इन्हें बेचने के लिए मंडियों में ले जाते हैं तो पेट्रोल की कीमत भी निकल नहीं पा रही है।इस गर्दिश ने हमारी कमर तोड़ कर रख दी है।

“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

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