बारह साल के बालक कामदेव बना रहे गणेश की सुंदर मूर्तियां
राजिम । राग रंग और पारधी जैसे हुनर मानव के स्वयंमेव प्रकृति अर्थात स्वभाव पर निर्भर करता है उसे सिखाने अथवा गुरूकुल जाने की आवश्यकता नही होती अगर उसे सिखने मन में गहरी लगन जिज्ञासा और पिपासा हो। कोई भी विधा में वह एकलव्य की तरह अर्जुन से आगे बढ़कर कामयाबी हासिल कर सकता है। ऐसे ही एक बालक अपनी प्रतिभा को मूर्तरूप देने दो वर्षों से एकलव्य की भांति लगातार अभ्यास करते हुए साधनारत है। जी हां हम बात कर रहे हैं ग्राम फुलझर घटारानी के एक 12वर्षीय बालक कामदेव की। वह पढ़ाई के साथ साथ मूर्ति कला में विशेष अभिरुचि होने के फलस्वरूप अपने घर में मिट्टी लाकर गणेश भगवान को आकृति देने में लगा हुआ है जिसकी चर्चा गांव और आस-पास हो रही है। उल्लेखनीय है कि कक्षा 6वीं में अध्ययनरत कामदेव ध्रुव पढ़ाई में भी अग्रणी है जो हर साल अच्छे नंबर हासिल करते हैं। बता दें कि यह प्रतिभावान बालक आगे चलकर गणेश के मूर्ति के अलावा दुर्गा, गायत्री, काली, हनुमान, लक्ष्मी, सरस्वती और भगवान शंकर की मृर्ति बनाने संकल्पित है। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि यद्यपि कामदेव के पारंपरिक पृष्ठभूमि कला क्षेत्र से कोसो दूर है परंतु कुदरत का करिश्मा है कि ग्राम पंचायत फुलझर के पूर्व सरपंच रूपेश कुमार ध्रुव वर्तमान में कृषिमित्र के रूप में सेवा देते हुए गांव के सम्मानित व्यक्ति हैं जो अपने पुत्र कामदेव को ऐसे उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”