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गिरदावरी का बहाना सरकार 21 क्विंटल धान खरीदी से कर रही आनाकानी: कांग्रेस

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रायपुर। प्रदेश में धान खरीदी चल रही है, छत्तीसगढ़ में किसानो की आय का सबसे बड़ा जरिया धान की खेती है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि धान खरीदी को लेकर सरकार की नीयत में खोट दिख रहा है। न समय पर किसानों को टोकन मिल रहा है और न ही पूरे रकबे के हिसाब से तौलाई हो रही है, गिरदावरी और अनावरी रिपोर्ट का हवाला देकर कम धान खरीदा जा रहा है। सरकार घोषित नीति प्रति एकड़ 21 क्विंटल के हिसाब से खरीदी नहीं कर रही किसी भी सोसायटी में 16 से लेकर 19 क्विंटल से अधिक की खरीदी नहीं हो रही। धान बेचने के लिए किसानों को टोकन नहीं मिल पा रहा। बहुत से किसानों का आज भी धान बेचने के लिए एग्री स्टेक पोर्टल में पंजीयन नहीं हो पाया है वे भटक रहे। डबल इंजन की सरकार किसानों का पूरा धान 3100 रु. के भाव से नहीं खरीदना चाहती इसलिए जानबूझकर परेशानी पैदा की जा रही।
किसानों कापूरा धान तैयार है, लेकिन रिकार्ड में जमीनकम दिखाने से किसान अपना पुरा धान बेच नहीं पा रहे हैं, सरकार और प्रशासन की गलतीसे सीधा नुकसान किसानों को हो रहा है। तहसील ऑफिस, राजस्व कार्यालय, जिला कलेक्टर से लेकरमंत्री विधायकों तक किसान लगातार शिकायत कर रहे हैं लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हैइस सरकार में समाधान के लिए कोई समय सीमा निश्चित नहीं की गई है त्रुटिपूर्ण गिरदावली मोहल्ला पर वही नहीं बल्कि किसानों के अधिकार से खिलवाड़ हैगिरदावाली जैसे महत्वपूर्ण कार्य में पारदर्शिता और जवाबदेही होनी चाहिए लेकिन इससरकार में कहीं दिख नहीं रहा है। प्रशासन के रवैए से स्पष्ट है कि यह सरकारकिसानों से पुरा धान नहीं खरीदना चाहती है।
शुक्ला ने कहा कि एकीकृत किसान पोर्टल और एग्री स्टेक पोर्टल का मिलान करने पर कई किसान गायब मिल रहे हैं, धान के फसल के 5 लाख हेक्टेयर रकबा का पंजीयन कम हुआ है, इसमें से भी डिजिटल कॉर्प सर्वे में खेत के फसल को निरंक बताया गया है, अर्थात जिन किसानों ने अपने खेत में धान का फसल बोया गया है, उनके भी फसल के कॉलम में निरंक दर्ज कर दिया गया है जिससे किसान धान बेचने से वंचित हो रहे हैं। किसानों के खेतों के रकबा में कटौती किसानों की आम समस्या बन गया है।

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